सोशल मीडिया पर शॉर्ट वीडियोज का बढ़ता प्रभाव- डॉ. तस्कीन नाडकर

The growing influence of short videos on social media
सोशल मीडिया पर शॉर्ट वीडियोज का बढ़ता प्रभाव- डॉ. तस्कीन नाडकर
कंटेंट क्रिएशन सोशल मीडिया पर शॉर्ट वीडियोज का बढ़ता प्रभाव- डॉ. तस्कीन नाडकर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। “रसोड़े में कौन था” 57 सेकेंड के एक वीडियो ने टीवी सीरीयल के इस डायलॉग को ऐसा मोड़ा कि इसे बनाने वाले 25 साल के यशराज मुखौटे रातोंरात इंटरनेट सेंसेशन बन गए। उन्हीं की तरह 21 साल की सलोनी गौर जो कि नजमा आपी के कैरेक्टर को लेकर आती हैं या फिर करंट अफेयर्स के मुद्दों पर और सेलेब्रेटी एक्टिंग को लेकर हर घर में पहचानी जाती हैं। इन्हीं के बीच 21 साल की डांसर ईशना कुट्टी साड़ी में हूला-हूपिंग करते हुए सबकी पसंद बन चुकी हैं। औरंगाबाद से आने वाले यशराज मुखौटे, बुलंदशहर की सलोनी गौर और दिल्ली की रहने वाली ईशा कुट्टी ये उस सफलता के चेहरे हैं जो किसी को सोशल मीडिया पर शॉर्ट वीडियो के जरिए मिल सकती है। इन्हीं की तरह आज भारत में लाखों ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स भी हैं जो हर दिन सक्सेस पाने और वायरल हो जाने की उम्मीद में ढेर सारे शॉर्ट कंटेंट बना रहे हैं। भारत में आई इस कंटेंट क्रांति के पीछे ये सारे चेहरे हैं और इन्हीं के कारण आज भारत दुनिया में वीडियो के सबसे बड़े कंज्यूमर के तौर पर सामने आया है। डिजिटल अन कवर्ड की एक रिपोर्ट तो ये तक बताती है कि भारत में हर महीने में 500 करोड़ बार वीडियो देखे जाते हैं। शॉर्ट फॉर्म कंटेंट इस वीडियो व्यू का अधिकतर हिस्सा ऐसे वीडियो की ओर भी जाता है जो कि पर्सनलाइज्ड होते हैं और उन्हें देखने के लिए लोगों को कम समय भी लगता है। रेडसीर कंसल्टिंग के एक आंकड़े के मुताबिक 2016 से 2020 के बीच भारत में शॉर्ट फॉर्म वीडियो कंटेंट 2 करोड़ यूजर्स से 18 करोड़ यूजर्स तक पहुंच गया है। इस क्रेज को बढ़ाने में चायनीज ऐप टिकटॉक का काफी बड़ा हाथ है। जून 2020 में जब ये ऐप बैन हुआ उससे पहले इसे 20 करोड़ से ज्यादा भारतीय इस्तेमाल कर रहे थे और इसे इस्तेमाल करने वालों में 2 लाख से ज्यादा इन्फ्लुएंसर भी शामिल थे।
टिकटॉक के जाने के बाद कई भारतीय ऐप्स ने उसकी जगह को लेने की कोशिश की। रेडसीर की रिपोर्ट ये भी बताती है कि प्रोडक्ट, टेक और मार्केटिंग पर फोकस करते हुए जोश, मोज और एमएक्स टकाटक टिकटॉक के यूजर बेस का 97 प्रतिशत हासिल करने में कामयाब रहे। वहीं इंटरनेशनल ऐप्स जैसे इंस्टाग्राम और यूट्यूब ने
ऐप्स में ही शॉर्ट वीडियो ऑफर कर इंस्टा रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स लाकर लोगों को शॉर्ट वीडियो बनाने का विकल्प दिया। कुल मिलाकर आज कंटेंट क्रिएटर कम्यूनिटी बढ़कर 4।5 करोड़ तक पहुंच गई है जो कि टिकटॉक के दौर से दोगुनी से भी ज्यादा है। और आज सभी प्लेटफॉर्म्स को मिला लिया जाए तो हर दिन 5 करोड़ पोस्ट इन पर
क्रिएट की जाती हैं। रेडसीर का डेटा ये भी बताता है कि ये तो भारत में कंटेंट क्रिएशन की एक शुरुआत बस है जो कि एक बड़ी कंटेंट क्रांति का इंतजार कर रहा है। आने वाले दिनों में 2025 तक भारत में ये मार्केट 58 करोड़ लोगों तक पहुंच सकता है।
कंज्यूमर, क्रिएटर और विज्ञापनदाता
शॉर्ट टर्म कंटेंट प्लेटफॉर्म के तीन मुख्य हिस्से होते हैं - कंज्यूमर, क्रिएटर और विज्ञापनदाता। क्रिएटर्स अपने कंज्यूमर पर निर्भर होते हैं कि वो उन्हें फॉलो करें ताकि वो ज्यादा से ज्यादा पॉपुलर हो सकें। वहीं कंज्यूमर चाहते हैं कि उन्हें असली और मजेदार कंटेंट अपने क्रिएटर्स से मिले। काफी ज्यादा फॉलो किए जाने वाले कई क्रिएटर इन्फ्लुएंसर बन जाते हैं और ऐसे इन्फ्लुएंसर लोगों को अपने कंटेंट के जरिए किसी ब्रांड को खरीदने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस बात का फायदा लेते हैं विज्ञापनदाता ताकि वो इन प्लेटफॉर्म पर इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के मौके का इस्तेमाल कर सकें। एवेंडस कैपिटल के डेटा के मुताबिक डिजिटल कंटेंट के क्षेत्र में होने वाला इनवेस्टमेंट साल 2020 में एक साल पहले के मुकाबले दोगुना होकर 900 मिलियन डॉलर का हो गया 2019 में ये इनवेस्टमेंट 400 मिलियन डॉलर का था और उम्मीद है कि ये 2021 के खत्म होने तक 1।5 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। अब जब ज्यादातर युवा इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं इन प्लेटफॉर्म्स का कंज्यूमर बेस भी तेजी से बढ़ रहा है। ये क्रिएटर्स को अपने कंटेंट की क्वालिटी और ओरिजनलिटी को बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करता है। इस बात को और बेहतर तरीके से बढ़ाने के लिए कई प्लेटफॉर्म्स अपने फोकस और फंड को कंटेंट क्रिएशन प्रोग्राम बनाने, क्रिएटर्स को सिखाने और उन्हें सामने लाने में खर्च कर रहे हैं। जोश का वर्ल्ड फेमस, मोज का क्रिएटर्स प्रोग्राम और एमएक्स टकाटक का लॉन्चपैड इसी के कुछ उदाहरण हैं। प्लेटफॉर्म्स क्रिएटर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि वो उन्हें और ज्यादा बेहतर टूल्स दे सकें जो कि इन्फ्लुएंसर बनने की उनकी यात्रा को आसान और तेज बनाए। इन्फ्लुएंसर कम्यूनिटी की ग्रोथ विज्ञापनदाताओं को प्लेटफॉर्म्स की तरफ आकर्षित कर रही है। कहा जा सकता है कि अब चीजें सही तरीके से फिट हो गई हैं इस इकोसिस्टम को वो तेजी दे रही हैं और प्लेटफॉर्म में सभी के लिए ज्यादा से ज्यादा मौके बन रहे हैं।
अवसरों को तलाशना और कमियों को दूर करना
अब जबकि वीडियो ऐप्स तेजी से बढ़ रहे हैं इनके एक्टिव यूजर्स और डाउनलोड्स की बात करें तो उनकी सफलता को कई इंगेजमेंट इंडीकेटर्स से भी मापा जाता है जैसे कि उनके सेशन के नंबर या उसका सेशन के कुल वक्त से। किसी भी प्लेटफॉर्म के लिए अपनी इंगेजमेंट को बनाए रखने के लिए क्वालिटी, क्वांटिटी और कंटेंट की
वैराइटी पर लगातार ध्यान देना होगा। यूजर्स की अगली पीढ़ी जो कि कुछ अलग तरीके की पसंद रखती है, वो यूनिक और अलग तरीके के कंटेंट को चाहते हैं। उन्हें ट्रेडिशनल तरीकों जैसे कॉमेडी, डांस और लिप-सिंकिंग जैसे कंटेंट से अलग देखना है इसीलिए वो खास तरीके के कंटेंट जैसे लाइफस्टाइल, फिटनेस और टेक पर जोर देते हैं।  वो प्लेफॉर्म्स जो कि शुरुआत में ही इन्फ्लुएंसर की पहचान करके उन्हें अपने साथ जोड़ लेंगे और उन्हें सिखाकर आगे बढ़ेंगे वो काफी फायदे में रह सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट की क्वालिटी बनाए रखने के साथ-साथ एक ब्रांड आइडेंटिटी बनाने में भी मदद करेगा। इसके साथ ही इन्फ्लुएंसर और उनके यूजर्स के बीच रिश्ता भी बनेगा जो कि बदले में कई सारे वित्तीय मौकों को भी बढ़ाएगा। एक और मौका जो इस क्षेत्र में है वो क्रिएटर-एजुकेशन प्लेटफॉर्म बनाने का। प्लेटफॉर्म्स के शुरु किए टैलेंट हंट प्रोग्राम सीमित हैं और इससे कुछ लोगों को ही फायदा मिलता है। इस वक्त की जरुरत है कि कंटेंट क्रिएशन के क्षेत्र में एक सही अप्रोच के साथ आगे बढ़ने की जो कि मांग और आपूर्ति को भी बनाए रख सकती है। एक लर्निंग प्लेटफॉर्म करंट इकोसिस्टम के खालीपन को पूरा कर सकता है। आज ज्यादातर कंटेंट क्रिएटर्स या तो कंटेंट बनाने के तरीके को खुद सीखते हैं या फिर वो अपने पसंदीदा इन्फ्लुएंसर को फॉलो करते हैं। ऐसे प्लेटफॉर्म यूजर्स को क्रिएटर बनने और क्रिएटर्स को इन्फ्लुएंसर बनने में मदद कर सकते हैं। इस सीखने के मौके में कुछ सामान्य सी बातों जैसे कि स्टोरी बोर्डिंग, स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग को शामिल करने के साथ कुछ बुनियादी चीजों को भी रखा जा सकता है। यूजर इंगेजमेंट के एनलिटिक्स को समझना और रेवेन्यू मॉडल को जानना भी इसका एक हिस्सा हो सकता है। कई सफल इन्फ्लुएंसर और एक्सपर्ट्स की सहायता से अगले 5 सालों में 10 करोड़ लोगों को इससे जोड़ा जा सकता है। हमारे पास एक घरेलु शॉर्ट फॉर्म यूजर से चलने वाला कंटेंट मार्केट मौजूद है और ये दुनियाभर में सफल होने के लिए भी तैयार है। जरुरत है कि हम इस क्षेत्र में आने वाली संभावनाओं को तराशें और इससे जुड़े लोग इसे तेजी से सफल कर सकते हैं जिससे इस पूरे इकोसिस्टम की वित्तीय क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होगी।

Created On :   7 Oct 2021 6:21 PM IST

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