78वां स्वतंत्रता दिवस: आजादी की याद दिलाता है तीनशेर चौक
- देश की आजादी के बाद शहर में विजयी स्तंभों की हुई थी स्थापना
- शहर के बीचों-बीच स्थित तीनशेर स्तंभ
- तीनशेेर स्तंभ पर गाय, हाथी, अशोक चक्र की आकृतियां भी उकेरी गई
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। भारत देश की आजादी के बाद शहर में विजयी स्तंभों की स्थापना की गई थी, जो आज भी आजादी के संघर्ष और सच्चे वीर सपूतों की याद दिलाते हैं। इन्हीं विजयी स्तंभों में से एक है, शहर के बीचों-बीच स्थित तीनशेर स्तंभ। इसी तीनशेर स्तंभ के चलते शहर के तारबाजार को तीनशेर चौक के नाम से जाना जाता है। आजादी के बाद विजय स्वरूप इस विजय स्तंभ की 1958 में स्थापना हुई।
शहर के जुननकर परिवार के पैकूजी आप्पा, वासुदेव आप्पा, राजेराम आप्पा ने इस तीन शेरा विजय स्तंभ का निर्माण कराया। जुननकर परिवार ने स्व. महादेव विश्वनाथ आप्पा जुननकर की याद में आजादी के बाद इस स्तंभ को स्थापित कराया। तत्कालीन एमएलए रायचंदभाई शाह ने 26 जनवरी 1958 को तीनशेर स्तंभ का लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया था। विजय स्तंभ की बनावट भारत सरकार के चिन्ह से हूबहू मिलती है। निर्माताओं की मांग पर कलाकारों ने भी हूबहू आकृति तैयार की थी, जो आज भी आजादी के पलों को याद दिलाती है। तीनशेर विजय स्तंभ से आजादी के बाद आज भी शहर में शान से शहरवासियों में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा बनाए रखता है।
तीनशेर विजय स्तंभ की सुंदरता आज भी बरकरार है। तीनशेेर स्तंभ पर तीन दहाड़ते शेरों के अलावा गाय, हाथी, अशोक चक्र की आकृतियां भी उकेरी गई हैं। हर वर्ष स्थानीय नगर पालिका स्तंभ का रंगरोगन कर 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहां राष्ट्रीय ध्वज लहराता है। चौक से गुजरने वाले हर व्यक्ति को तीनशेर स्तंभ देश की आजादी की याद दिलाता है।
Created On :   15 Aug 2024 10:04 AM IST