लॉकडाउन में महामारी कानून के तहत दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार

Yogi government will withdraw the case registered under the epidemic law in lockdown
लॉकडाउन में महामारी कानून के तहत दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार
कोरोनावायरस लॉकडाउन में महामारी कानून के तहत दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार

डिजिटल, डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड लॉकडाउन के दौरान महामारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए महामारी अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने गृह विभाग से इस संबंध में कार्रवाई शुरू करने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दागी पुलिसकर्मियों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले महीने मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की थी कि राज्य सरकार पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेगी। गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन के लिए दर्ज मामलों को वापस लिया है। ये मामले आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम, कोविड -19 प्रोटोकॉल को तोड़ने के लिए लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा के आरोपों के तहत दर्ज किए गए थे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं तो वे वापस ले लें। रिकॉर्ड के अनुसार, सभी आठ पुलिस क्षेत्रों और चार पुलिस आयुक्तालय में कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन के लिए कुल 91,002 मामले दर्ज किए गए थे। अधिकारी ने यह भी कहा कि 18,585 मामलों के साथ गोरखपुर पुलिस क्षेत्र में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए और सबसे कम 251 मामले वाराणसी कमिश्नरी में दर्ज किए गए।

भ्रष्ट और दागी पुलिसकर्मियों की जांच के लिए राज्य सरकार ने दो कमेटियां बनाई हैं। पहला डायरेक्टर जनरल इंटेलिजेंस देवेंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में और दूसरा एडिशनल डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार की अध्यक्षता में। पहली कमेटी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारियों की स्क्रीनिंग करेगी। एडीजी (कानून व्यवस्था) की अध्यक्षता वाली दूसरी कमेटी इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर स्तर के पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग करेगी। इस समिति में एडीजी प्रतिष्ठान और गृह सचिव सदस्य होंगे। ये कमेटियां एक ही जिले में तैनात पुलिसकर्मियों की तीन साल से जांच कर अपनी रिपोर्ट देंगी और अगर उन पर किसी तरह का आरोप है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   4 Oct 2021 12:01 PM IST

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