जिस समय थी पानी की जरूरत तभी कर दी जलापूर्ति बंद

When there was a need for water, then the water supply was stopped
जिस समय थी पानी की जरूरत तभी कर दी जलापूर्ति बंद
किसानों में रोष जिस समय थी पानी की जरूरत तभी कर दी जलापूर्ति बंद

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली । जिले की चामोर्शी तहसील के रेगड़ी स्थित कन्नमवार जलाशय से हर वर्ष धान उत्पादक किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था की जाती है। इसी पानी के भराेसे स्थानीय किसान अपने खेतों में धान की फसल उगाते हंै। लेकिन इस वर्ष जिस समय फसलों को सिंचाई की आवश्यकता थी, उसी समय सिंचाई विभाग के अधिकारी ने जलाशय का पानी बंद कर दिया। इन सबके कारण तहसील के कुरूड़ ग्राम पंचायत के तहत आने वाले 4 गांवों के सैकड़ों किसानों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गयी। इस नुकसान से बचने के लिए वित्तीय सहायता पाने बुधवार को नुकसानग्रस्त किसानों ने यहां के जिलाधिकारी समेत सिंचाई विभाग के कार्यालय पर दस्तक दी। जिसके बाद पत्र परिषद के माध्यम से न्याय की गुहार लगायी। 

नुकसानग्रस्त किसानों ने पत्रकारों को बताया कि, कुरूड़ ग्राम पंचायत के तहत नाचनगांव, देवड़ी, कुरूड़, निमगांव का समावेश है। यहां के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने कन्नमवार जलाशय का पानी कैनल में छोड़ा जाता है। सिंचाई की इस सुविधा के लिए संबंधित किसान प्रति वर्ष विभाग में पानी का टैक्स भी अदा करते हंै। इस वर्ष बारिश पर्याप्त मात्रा में हुई। जिसके कारण खरीफ सत्र के आधे दौर तक किसानों को कैनल के पानी की आवश्यकता नहीं पड़ी। लेकिन अंतिम दौर में धान की फसलों को एक बार सिंचित करने की आवश्यकता थी। जिसके कारण चारों गांवों के किसानों ने चामोर्शी स्थित जलसंपदा विभाग के कार्यालय पहुंचकर शाखा अभियंता से भेंट की। इस समय किसानों ने कुम्हलाएं फसलों को नवसंजीवन देने के लिए कन्नमवार जलाशय का पानी कैनल में छाेड़ने की मांग की। लेकिन संबंधित अधिकारी ने कैनल में पानी नहीं छोड़ा।  जिसके कारण क्षेत्र के सैंकड़ों किसानों की फसलें इस वर्ष पूरी तरह नष्ट हो गयी। धान पकने के पूर्व ही सारी फसलें सूख जाने से इस वर्ष किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा। अधिकारी एक गलती के कारण सिंचाई सुविधा न मिलने से अब किसानों में तीव्र असंतोष व्यक्त किया जा रहा है। संबंधित शाखा अभियंता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए वित्तीय मदद देने की मांग को लेकर किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय समेत सिंचाई विभाग के कार्यालय पर दस्तक दी, जिसके बाद किसानों ने पत्र परिषद के माध्यम से  आपबीती बतायी। इस समय धर्माजी बारसागडे, हीरामण सातपुते, गजानन पिपरे, पत्रू शेंडे, आत्माराम कुलमेथे, रमेश सातपुते, मोरेश्वर चलाख, सुरेश येलमुले, दादाजी येलमुले, संपत कुमरे, नामदेव चलाख, रामदास वासेकर समेत दर्जनों की संख्या में अन्य किसान उपस्थित थे। 
 

Created On :   10 Nov 2022 2:52 PM IST

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