ग्रामीण इलाकों में पानी का मुख्य स्त्रोत रहे कुयें अब गिन रहे हैं अंतिम सांसे

Wells, which were the main source of water in rural areas, are now counting their last breaths
ग्रामीण इलाकों में पानी का मुख्य स्त्रोत रहे कुयें अब गिन रहे हैं अंतिम सांसे
मोहन्द्रा ग्रामीण इलाकों में पानी का मुख्य स्त्रोत रहे कुयें अब गिन रहे हैं अंतिम सांसे

डिजिटल डेस्क मोहन्द्रा नि.प्र.। ग्रामीण इलाकों में सिर्फ  पानी का मुख्य स्त्रोत ही नहीं बल्कि समाज में संस्कृति, सभ्यता, परंपराओं और मांगलिक  अवसर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे कुयें आज अंतिम सांसे गिन रहे हैं। कुछ साल पहले तक ग्रामीण इलाकों में कुयें पेयजल व सिंचाई का मुख्य साधन हुआ करते थे। अधाधुंध भू-जल के दोहन व निजी नलकूप की चाह रखने की प्रवृत्ति के कारण अनदेखी का शिकार हो गये। इसका नतीजा यह हुआ कि कुयें गर्मियां प्रारंभ होने के पहले ही सूख रहे हैं। अब कुओं में पानी न होने व कुयें के आसपास साफ -सफाई न रहने के कारण सभी प्रकार की मांगलिक रस्में भी हैंडपंप के पास ही निभाई जाती है। एक समय था जब बुजुर्ग कुयें का पानी पीकर निरोगी रहते थे पर अब सरकारें सतह के जल को शुद्व ही नहीं मानती। कस्बे के अंदर लगभग दो दर्जन कुयें है पर गहरीकरण, मरम्मत व रखरखाव के आभाव में लगभग सभी कुयें सूखने की कगार में है। बुजुर्ग आज भी यह मानते है कि अगर इन तथाकथित विकास पुरुषों ने शहर की पेयजल आपूर्ति शहर के संसाधनों व गांव की पेयजल आपूर्ति गांव के संसाधनों पर सवांरने की नीति बनाई होती तो गांवों में कभी जलसंकट पैर न पसारता। आज कस्बे के ज्यादातर जलस्रोत अतिक्रमणकारियों की चपेट में है। कभी गांव मोहल्लों की पहचान रहे ये प्राचीन जलस्त्रोत इतिहास में दफन होते नजर आ रहे हैं। 

Created On :   9 Jan 2023 4:14 PM IST

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