विलुप्त हो रही देवार शैलियों को संजोया जाए: मंत्री श्री अमरजीत भगत

Vanishing wall styles should be preserved: Minister Mr. Amarjeet Bhagat
विलुप्त हो रही देवार शैलियों को संजोया जाए: मंत्री श्री अमरजीत भगत
छत्तीसगढ़ विलुप्त हो रही देवार शैलियों को संजोया जाए: मंत्री श्री अमरजीत भगत

डिजिटल डेस्क रायपुर, 01 दिसम्बर 2022/ संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में आज छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् की बैठक हुई। बैठक में अकादमियों और शोधपीठ के अध्यक्ष एवं सदस्य विशेष रूप से शामिल हुए। बैठक रायपुर के विधायक कॉलोनी स्थित सरगुजा कुटीर में संपन्न हुई। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् के अध्यक्ष और संस्कृति मंत्री श्री भगत परिषद के उपाध्यक्ष हैं। मंत्री श्री भगत के अध्यक्षता में हुई बैठक में बजट पूर्व तैयारियों को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। 

बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 में किए गए कार्यों तथा आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 में किए जाने वाले कार्य योजनाओं के संबंध में बिन्दुवार चर्चा की गई। बैठक में अकादमियों और शोधपीठ के अध्यक्षों व सदस्यों ने कला संस्कृति की अलग-अलग विधाओं को संरक्षित करने उनके संवर्धन तथा नवाचार के संबंध में अपने-अपने कार्ययोजना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मंत्री श्री भगत ने जनजातीय एवं लोककला अकादमी, कला अकादमी, साहित्य अकादमी सहित सभी विधाओं को आगे बढा़ने की दिशा में काम करने पर बल दिया। मंत्री श्री भगत ने संस्कृति विभाग का एक अलग ‘लोगो’ तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।  

छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् की उपाध्यक्ष श्री भगत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में प्रदेश की कला-संस्कृति, परंपराओं सहित सभी विधाओं को एक छत के नीचे लाकर संरक्षण एवं संवर्धन की मंशा सार्थक हो रही है। प्रदेश में विलुप्त हो रही विधाओं को संजोने एवं आगे बढ़ाने के लिए विगत् 04 वर्षों में परिणाममूलक कार्य किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है। 

संस्कृति मंत्री श्री भगत ने बैठक में कहा कि प्रदेश के विविध लोककला शैलियों की तरह देवार शैली में प्रचलित गीत-संगीत, कला-संस्कृति, नाचा-गम्मत राज्य की विरासत है। इसे सहेजने के लिए विशेष उपाय किए जाएं। उन्होंने करतब दिखाने वाले नट समूहों के कलाबाज लोगों को ढूंढ कर उनके संरक्षण और संवर्धन करने पर जोर दिया। मंत्री श्री भगत ने कहा कि पंथी नृत्य, राऊत नृत्य देश और विदेश में प्रसिद्ध है। इन पर भी विशेष कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि जनजातीय, लोक चित्रकारों, मूर्तिकारों के लिए कार्यशाला आयोजन कर उनकी कला विधाओं को सहेजने की दिशा में काम किया जाए। सांस्कृति एवं अन्य लोक विधाओं पर आधारित कार्यक्रम केवल राजधानी स्तर पर न हो। प्रदेश के संभागों एवं जिलों में भी जगह चिन्हाकिंत कर क्षेत्रीय लोगों के रूची के अनुरूप अलग-अलग विधाओं में कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृति परिषद् के अंतर्गत अकादमियों और शोधपीठ के सदस्यों के सोच अनुरूप भी नवाचार किया जाए। 

परिषद् की बैठक में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी., संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य सहित छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी के अध्यक्ष श्री राम गिडलानी, आदिवासी एवं लोक कला अकादमी के अध्यक्ष श्री नवलकिशोर शुक्ल, कला अकादमी के निदेशक श्री योगेन्द्र त्रिपाठी, श्रीकांत वर्मा शोधपीठ के अध्यक्ष श्री रामकुमार तिवारी, चित्रकला-मूर्तिकला विशेषज्ञ सुश्री सुनीता वर्मा, नृत्यकला विशेषज्ञ सुश्री वासंती वैष्णव, कला विशेषज्ञ श्री भूपेश तिवारी, छत्तीसगढ़ राजभाषा के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी, सिंधी अकादमी सदस्य के उपाध्यक्ष श्री नानक रेलवानी, लोक कला अकादमी के सदस्य श्री कालीचरण यादव सहित संस्कृति विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Created On :   2 Dec 2022 12:06 PM IST

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