राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत वंशिका को मिली उपचार हेतु पौने सात लाख रूपये की सहायता राशि "सफलता की कहानी" -

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत वंशिका को मिली उपचार हेतु पौने सात लाख रूपये की सहायता राशि "सफलता की कहानी" -

डिजिटल डेस्क, गुना। श्रीराम नारायण लोधा ग्राम गावरी से पाच सौ मीटर दूर ग्राम रामपुरा तहसील राधौगढ जिला गुना में संयुक्त परिवार में रहते है। उनके साथ उनके तीन पुत्र भी रहते है। आजीविका के नाम पर उनके पास थोड़ी सी जमीन है जिस पर वह खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है। उनके दोनों पुत्र भगवानसिहं और धनलाल खेती मे पिता का सहयोग करते है। और तीसरा पुत्र जगदीश लोधा प्राईवेट नौकरी करता है। जिससे उन्हें लगभग 11 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है। जगदीश की दो पुत्रियां हैं। जिसमें बड़ी बेटी 06 वर्ष और छोटी बेटी वंशिका 02 वर्ष की है। वंशिका बचपन से ही काफी चंचल और शरारती स्वभाव की होने के कारण अपने पूरे परिवार की लाड़ली है। वंशिका जन्म से आंखो की समस्या से ग्रसित थी। जिसके लिये परिवार वाले चिंतित रहते थे परन्तु, जैसे ही वह 02 वर्ष की हुई परिवार वालो को लगा कि उसे सुनाई भी नही देता है। उन्‍होंने कई डॉक्टरो से स्थानीय स्तर पर ईलाज कराया परन्तु, कोई लाभ नही हुआ। फिर एक दिन जगदीश अपनी पुत्री को लेकर गुना में डॉ. शब्‍बीर हुसैन ई.एन.टी. के पास उपचार हेतु लेकर आये। डॉ. शब्‍बीर हुसैन को आर.बी.एस.के. कार्यक्रम की जानकारी दी और उन्होंने बच्चे को आगे के निःशुल्‍क उपचार हेतु जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डी.ई.आई.सी) रेफर किया। यहां पर जिला शीघ्र हस्तक्षेप प्रबंधक श्रीमति विनीता सोनी ने जगदीश को आर.बी.एस.के. कार्यक्रम की जानकारी दी और बताया कि बच्ची के उपचार पर जो भी व्यय होगा वह आर.बी.एस.के. कार्यक्रम के अंतर्गत किया जायेगा। इसके बाद डी.ई.आई.सी में प्रांरभिक जांच कराकर बच्ची को अन्य प्रकार की जांचों हेतु भोपाल रेफर किया गया भोपाल से बच्चे के कॉक्लियर इम्पलांट सर्जरी हेतु 6,50000 रूपये एवं नेत्र आपरेषन के लिये 22000 रूपये का स्टीमेट दिया गया। आवश्‍यक कार्यवाही के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0पी0बुनकर द्वारा बच्ची को बिना किसी विंलब के 6,72000 रूपये की राशि का स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया। जब वंशिका के पिता से शासकीय योजना के बारे में अपने विचार व्यक्त करने को कहा गया तो वह भावुक हो गया और कहा कि जब मैनें अपने पिता को उपचार पर आने वाले खर्च के बारे में बताया तो उनका कहना था कि हम सारी जमीन बेचने के बाद भी इतनी राशि इक्ट्ठा नही कर पायेंगे। उनकी इस तरह की बात को सुनकर वह निराश हो गया और उसने सोचा कि उपचार के लिये इतना पैसा इक्ट्ठा करने के लिये जिन्दगी भर किसी के यहां नौकर बनकर रहना पड़ेगा। तभी शायद वह अपने बच्‍ची का उपचार करा पाएगा। आज जब उसे 6,72000 रूपये का स्वीकृति पत्र प्राप्त हुआ तब उसे विश्‍वास हुआ कि सरकार की ऐसी भी शासकीय योजना है। जिसमें बिना किसी परेशानी, बिना किसी ए.पी.एल./बी.पी.एल. के उपचार हेतु इतनी बड़ी सहायता राशि मिल सकती है।

Created On :   12 Sept 2020 2:58 PM IST

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