- Home
- /
- अमरावती के जंगल में मिले 2 नए वाटर...
अमरावती के जंगल में मिले 2 नए वाटर सोर्स
डिजिटल डेस्क, अमरावती। बढ़ती गर्मी के साथ ही वन्य प्राणियों के बीच पानी के लिए मच रही त्राहि त्राहि को देखते हुए वन विभाग ने जंगल के बीच कई कृत्रिम तालाब बनाए हैं। जिसमें पानी भरने का काम कई स्थानों पर सौर ऊर्जा चलित पंपों से होता है तो कई जगहों पर टैंकरों से इसमें पानी भरा जाता है। इन परेशानियों के बीच चार-पांच दिन पहले जंगल की जांच व गश्त के दौरान वन रक्षक एस.वी. डहाके ने जंगल में ही दो नैसर्गिक जल स्त्रोंतो का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है । मधुमक्खियों के जरिये इस नए सोर्स तक पहुंचा गया। वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए इन जगहों पर खुदाई कर कृत्रिम पोखर बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि वडाली वन परिक्षेत्र में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए जंगलों में चार-पांच कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं जिसमें पोहरा जंगल, भानखेड़ा, चिरोडी आदि परिसर में कृत्रिम तालाब बनाकर टैंकरों से इनमें जलापूर्ति की जाती है। बताया जा रहा है कि वनरक्षक एस.वी. डहाके ने भानखेड़ा के जंगल में दो ऐसे तालाब खोज निकाले है जिनमें प्राकृतिक जल के स्रोत पाए गए। वनविभाग कर्मियों ने श्रमदान कर इस जगह पर वन्य प्राणियों के लिए पोखर बना दिया है। इन दोनों पोखरों में नैसर्गिक सोतों के चलते काफी पानी होने से वन्य प्राणियों के लिए अब जंगल में ही पानी की व्यवस्था हो गई है। इसके पहले भी इसी जंगल में बंदरझिरा नाम से नैसर्गिक छोटा तालाब कुछ वर्ष पहले पाया गया था जिसके बाद अब दो और सोतों के मिलने से वन्य प्राणियों को ग्रीष्मकाल में गांव-शहरों का रूख नहीं करना पड़ेगा।
जंगल में ही बुझेगी प्यास
भानखेड़ा के जंगल में बड़े पैमाने पर वन्य प्राणी है। जिसमें तेंदुआ, लकड़बग्घा, मोर, खरगोश, हिरण, जंगली बिल्ली, नीलगाय के अलावा अन्य कई प्राणियों का डेरा है। इस जंगल में जल स्त्रोत मिलने से अब वन्यजीवों को शहर या गांव की ओर नहीं भटकना पड़ेगा।
- राजेंद्र घागरे, सर्कल आफिसर
मधुमक्खियों के कारण मिली जानकारी
बताया जाता है कि वनरक्षक एस.वी. डहाके जब जंगल में गश्त लगा रहे थे, तब उन्होंने मधुमक्खियों के झुंड को जमीन पर रेंगते देखा। निरीक्षण करने पर जमीन गीली नजर आई। जिसे देखकर डहाके ने दूसरे ही दिन अपने कर्मियों के साथ जमीन को खोदना शुरू किया तो पानी मिला। फिलहाल इस झरने में 2 मीटर तक जलसंग्रहण है।
Created On :   22 April 2019 3:30 PM IST