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आरक्षण को लेकर आदिवासी समाज ने बनाई त्रिस्तरीय रणनीति
डिजिटल डेस्क, रायपुर। आरक्षण को लेकर गरमाई सियासत के बीच छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने अपने हक की लड़ाई तीन स्तरों पर लडऩे की रणनीति बनाई है। समाज के एक धड़े ने कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कोर कमेटी का गठन करते हुए एक साथ तीनों मोर्चों पर लड़ाई छेडऩे की बात कही है। यहां सर्किट हाउस में छत्तीसगढ सर्व आदिवासी समाज ने एक बेठक रखी जिसमें आदिवासी समाज के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों को भी बुलाया गया। मंत्री कवासी लखमा भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में तय किया गया कि भूपेश बघेल सरकार उनके हक के लिए जो कर रही है वह करती रहे लेकिन समाज भी अब एकजुट हो तीन स्तरों पर अपनी लड़ाई लड़े। इस लड़ाई के संचालन का जिम्मा कोर कमेटी को सौंपा गया है। इधर छग हाईकोर्ट के आरक्षण फैसले के विरोध में पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लग चुकी हैं। इसमें से चार व्यक्तिगत और एक संगठन की ओर से है।
यह तय हुआ बैठक में
- इस मामले में समाज ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, उसको पूरा समर्थन दिया जाएगा।
- तीन अध्ययन दल बनाए जाएंगे जो तमिलनाडू, कर्नाटक और झारखंड की आरक्षण व्यवस्था का अध्ययन करेंगे।
- दल यह जानने की कोशिश करेगा कि उक्त राज्यों में आदिवासी समाज को बढ़ा आरक्षण कैसे मिल पाया और वहां 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की व्यवस्था कैसे बची है।
- सरकार से समन्वय का जिम्मा समाज के मंत्रियों और विधायकों को सौंपा गया। यह लोग लगभग हर सप्ताह मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर ताजा स्थिति पर चर्चाा करेंगे।
आदिवासी आरक्षण पर छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी आरक्षण वाले मुद्दे पर छत्तीसगढ़ सरकार और गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी को नोटिस जारी किया है। जस्टिस बीआर गवई और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने योगेश ठाकुर और प्रकाश ठाकुर की याचिका आवेदन की सुनवाई के बाद यह नोटिस जारी हुई। सरकार को इसका जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। उसके बाद अदालत मामले को फिर से सुनेगी।
Created On :   20 Oct 2022 12:33 PM IST