ताड़ी के पेड़ बने आदिवासियों के लिए आय का जरिया

Toddy trees became a source of income for the tribals
ताड़ी के पेड़ बने आदिवासियों के लिए आय का जरिया
बीमारियों से बचाव भी ताड़ी के पेड़ बने आदिवासियों के लिए आय का जरिया

डिजिटल डेस्क, भामरागढ़ (गड़चिरोली)। बारिश के चार महीनों तक अपने खेतों में मेहनत करने के बाद अब आदिवासी किसानों को ताड़ के पेड़ से रोजगार उपलब्ध हो रहा है। जनवरी माह के शुरुआती दिनों से तहसील के दर्जनों गांवों में इन दिनों में ताड़ी से लोगों को रोजगार उलपब्ध हो रहा है। आदिवासी संस्कृति के अनुसार, ताड़ के पेड़ों की पूजा-अर्चना करने के बाद अब गांवों में ताड़ी की बिक्री शुरू हो गयी है। बता दें कि, स्वास्थ्य के लिए लाभदायी इस ताड़ी के लिए क्षेत्र के गांवों में भीड़ हो रही है। प्रकृति के अध्ययनकर्ता डा. कैलास वी. निखाडे ने विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए सुबह की मीठी ताड़ी का सेवन करने की अपील भी लोगों से की है। 

बता दें कि, भामरागढ़ तहसील में प्रचुर मात्रा में ताड़ के पेड़ उपलब्ध हैं। खरीफ सत्र में फसलें कटने के बाद इस क्षेत्र में ताड़ के पेड़ों से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध होता है। तहसील में किसी प्रकार का उद्योग नहीं होने के कारण यहां बेरोजगारी की मात्रा काफी है। मात्र अब ताड़ के पेड़ों से लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। तहसील में करीब 125 गांवों का समावेश हैं। इन सभी गांवों में ताड़ के पेड़ों की संख्या प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हंै। आदिवासी संस्कृति में इस पेड़ काे अनन्य साधारण महत्व है। पेड़ से ताड़ी निकालने के पूर्व पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चा की जाती है। गांव में पोलो (छुट्‌टी) का आयोजन कर सामूिहक रूप से आदिवासी नागरिक पेड़ों की पूजा-अर्चना करते हैं। जिसके बाद पेड़ों से ताड़ी निकाली जाती है। जनवरी माह आरंभ होते ही इन पेड़ों से बड़े पैमाने पर ताड़ी निकाली जाती है। जिसकी बिक्री कर लाेगों को रोजगार उपलब्ध होता है।  

Created On :   14 Jan 2022 2:06 PM IST

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