न होगा प्रदूषण न होगी चोरी, खदान से सीधे सीएसटीपीएस पहुंचेगा कोयला

There will be no pollution, there will be no theft, coal will reach CSTPS directly from the mine
न होगा प्रदूषण न होगी चोरी, खदान से सीधे सीएसटीपीएस पहुंचेगा कोयला
पाइप कन्वेयर प्रणाली  न होगा प्रदूषण न होगी चोरी, खदान से सीधे सीएसटीपीएस पहुंचेगा कोयला

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर।  एशिया के सबसे बड़े चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली केंद्र (सीएसटीपीएस) के लिए एक राहत भरी खबर है। अब सीएसटीपीएस को सीधे वेकोलि की भटाली खदान से कोयला पाइप कन्वेयर प्रणाली के माध्यम से कोयले की आपूर्ति होगी। यह यंत्रणा स्थापित होने से रेल, रोड द्वारा कोयले के यातायात से होने वाले प्रदूषण व दुर्घटनाओं में कमी आएगी। साथ ही खदान से सीएसटीपीएस तक खदान पहुंचाने में होने वाली कोयले की चोरी, कोयले में मिलावट में कई हद तक अंकुश लग पाएगा। करीब 150 करोड़ की लागत से महानिर्मिती द्वारा निर्माण किया गया प्रोजेक्ट राज्य का संभवत: पहला उपक्रम है। 

गौरतलब है कि, 2920 मेगावाट क्षमता वाले सीएसटीपीएस में 210 मेगावाट की 2 और 500 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां हैं। सीएसटीपीएस को प्रतिदिन 45 हजार मीट्रिक टन कोयला लगता है। केंद्र को भटाली, दुर्गापुर, पद्मापुर, घुग्घुस आदि स्थानों से रेल व रोडसेल के माध्यम से कोयले की आपूर्ति होती है। इस कारण बड़े पैमाने पर प्रदूषण होता है। साथ ही सड़क दुर्घटनाएं भी होती है। कई बार साठगांठ से कोयले की चोरी होती है। सीएसटीपीएस को जाने वाला अच्छा कोयला बीच में ही उतारकर वाहन में घटिया दर्जे का कोयला मिलावट करके भेजा जाता है। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। साथ ही घटिया कोयला सीएसटीपीएस को मिलने से प्रदूषण भी फैलता है। जिसका सीधा असर नागरिकों पर होता है। इस पर निजात पाने के लिए कोयला पाइप कन्वेयर प्रणाली सीएसटीपीएस के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

 6.6 किलोमीटर की लंबाई वाली प्रथम पाइप कन्वेयर परियोजना महाजेनको के चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन की एक समर्पित प्रणाली है, जिसका काम चंद्रपुर क्षेत्र की भटाली ओसी खान से कोयला प्राप्त करना और फिर उसे पद्मापुर स्थित एमजीआर में डालना है। इस परियोजना सड़क मार्ग से कोयले की ढुलाई करने का काम लगभग रोक दिया जाएगा। पाइप कन्वेयर सिस्टम डब्ल्यूसीएल की खदानों से महाजेनको के पिट हेड विद्युत केंद्रों तक कोयले की ढुलाई करने के लिए एक अत्याधुनिक, दक्ष एवं पर्यावरण अनुकूल साधन विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समर्पित कोयला परिवहन प्रणाली कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी तरह की पहली प्रणाली है। इससे सड़क परिवहन के जरिए पर्यावरण पर होने वाले असर को कम करने में काफी मदद मिलेगी, क्योंकि इसमें कोयले की बिखरी हुई धूल की कोई समस्या नहीं होगी। इसके साथ ही वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी इसकी बदौलत कम हो जाएगा। यही नहीं, इससे कोयले की चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी और इससे कम ढुलाई लागत पर विद्युत संयंत्रों को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की पर्याप्त आपूर्ति करने में भी सहूलियत होगी।

कल ऊर्जामंत्री करेंगे लोकार्पण
वेकोलि की भटाली कोयला खदान से चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली केंद्र को कोयला आपूर्ति करने के लिए पाइप कन्वेयर प्रणाली का लोकार्पण समारोह शनिवार 13 नवंबर को दोपहर साढ़े 3 बजे भटाली खुली कोयला खदान परिसर में किया गया है। लोकार्पण राज्य के ऊर्जा मंत्री डा. नितीन राऊत के हाथों होगा। 

कोयला ढुलाई की क्षमता प्रतिघंटा 500 टन 
करीब 150 करोड़ की लागत से बनी कोयला पाइप कन्वेयर प्रणाली 6.06 किलोमीटर लंबी है। इसके निर्माण में लगभग 3 वर्ष का समय लगा है। कोयला पाइप कन्वेयर से कोयला ढुलाई की क्षमता प्रतिघंटा 500 टन है। इससे कोयले के परिवहन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा। प्रदूषण कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की सूचना व गाइड लाइन के तहत उक्त प्रणाली का निर्माण किया गया है। थायसन कंपनी ने इसका निर्माण किया है। सीएसटीपीएस को कोयला प्राप्त करने के लिए रेलवे, रोड ट्रांसपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन इस नई प्रणाली से सीएसटीपीएस की निर्भरता पर कमी आएगी और कोयले की कमी महसूस नहीं होगी, यह विश्वास सीएसटीपीएस प्रबंधन ने व्यक्त किया है।

Created On :   12 Nov 2021 12:56 PM IST

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