देश-विदेश  के जनजातियों के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली, नृत्य की दिखेगी झलक

There will be a glimpse of the food, customs, crafts style, dance of the tribes of the country and abroad.
देश-विदेश  के जनजातियों के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली, नृत्य की दिखेगी झलक
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव  देश-विदेश  के जनजातियों के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली, नृत्य की दिखेगी झलक

डिजिटल डेस्क रायपुर। 28 अक्टूबर 2022/ आधुनिकता के दौड़ से दूर जंगलों में रहने वाली जनजातियों की अपनी समृद्ध संस्कृति है। विभिन्न जनजातियों के अपने तीज-त्यौहार, लोक नृत्य व गीत भी हैं। इन आदिवासियों की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1 से 3 नवंबर तक किया जा रहा है। राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है। महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में होगा।

छत्तीसगढ़ में 42 तरह की जनजातियां निवासरत्
    छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। यहां का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है एवं यहां जनजातियों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य में 42 तरह की जनजातियां निवास करती हैं। इस महोत्सव के माध्यम से जनजाति कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन का अवसर मिलता है। 

आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण

    महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारों के बीच उनकी कलाओं की साझेदारी होगी। वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेंगे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से आदिवासी संस्कृति एवं सभ्यता को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है। यह आयोजन देश और पूरी दुनिया के जनजातीय समुदायों के आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

देश विदेश के 1500 से अधिक जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे

    राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों सहित 09 देशों के 1500 आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेगें। इन कलाकरों में देश के 1400 और विदेशों के 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। आयोजन में मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।

विदेशी जनजातियों की संस्कृति को भी जानने का मिलेगा मौका 

     छत्तीसगढ़ मंे प्रथम बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन वर्ष 2019 में 27 से 29 दिसम्बर तक किया गया था। इस महोत्सव में कुल 1,262 कलाकारों ने भाग लिया। इनमें 06 देशों के 59 जनजतीय कलाकारों शामिल थे। इसमें भारत के विभिन्न राज्यो सहित श्रीलंका, यूगांडा, मालदीव, थाईलैंड, बंग्लादेश और बेलारूस कलाकारों ने अपने देश के संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया। 

    राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2021 का आयोजन 28 अक्टूबर से 01 नवंबर तक किया था। जिसमें कुल 1,149 कलाकारों ने भाग लिया।  इनमें में 07 देशों के 60 जनजातीय कलाकारों भी शामिल थे। इनमें स्वीजरलैंड, माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, फ़िलिस्तीन, यूगांडा और उज्बेकिस्तान  के कलाकारों ने भाग लिया।

     इस वर्ष राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव वर्ष 2022 का आयोजन 01 से 03 नवंबर तक होगा। इस महोत्सव में कुल 1500 जनजातीय कलाकार भाग लेंगे। इसमें 09 देशों के 100 जनजातीय कलाकार भाग लेेने पहुँचेंगे। इनमें मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।

‘फसल कटाई और आदिवासी रीति-रिवाज की थीम पर होगा नृत्य महोत्सव 

    राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव मंे इस बार दो थीम रखी गई है। पहली थीम है ‘फसल कटाई पर होने वाले आदिवासी नृत्य’ और दूसरी थीम है ‘आदिवासी परम्        पराएँ और रीति- रिवाज’। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रतिभागियों को कुल 20 लाख रुपए का पुरस्कार

     राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के विजेताओं को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा। प्रथम स्थान के लिए 05 लाख रुपए, द्वितीय स्थान के लिए 03 लाख रुपए और तृतीय स्थान के लिए 02 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे। 

जनजातीय कला, संस्कृति और विरासत को सहेजने के लिए हो रहे जतन
 
    गौरतलब है कि राज्य सरकार ने विगत् पौने चार वर्षो में छत्तीसगढ़ की लोक तथा जनजाति कला, संस्कृति और विरासत सहेजने और संवारने के लिए बहुत सारे जतन किये है। यहां के पर्यटन स्थलों, कला परपंराओं और संस्कृति के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ मंे राज्य गीत को मान्यता दी गई, इसका मानकीकरण किया गया। राज्य के लोक एवं पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण स्तर छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक नाम से खेलकूद आयोजन किया जा रहा है।

Created On :   29 Oct 2022 5:46 PM IST

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