भोपाल गैस पीड़ितों के आंकड़ों में सुधार हो, नहीं तो होगा आंदोलन!

There should be an improvement in the statistics of Bhopal gas victims, otherwise there will be agitation!
भोपाल गैस पीड़ितों के आंकड़ों में सुधार हो, नहीं तो होगा आंदोलन!
मध्य प्रदेश भोपाल गैस पीड़ितों के आंकड़ों में सुधार हो, नहीं तो होगा आंदोलन!

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 1984 में हुए गैस हादसे के पीड़ितों के आंकड़ों में सुधार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गैस पीड़ितों के 26 दिसंबर तक किए गए वादे के मुताबिक आंकड़े जारी नहीं किये तो आंदोलन की राह पर बढ़ सकते हैं संगठन। भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के पांच संगठनों ने दिसम्बर 1984 के गैस हादसे में हुई मौतों और चोटों के आंकड़ों पर राज्य और केंद्र सरकारों की चुप्पी की निंदा की। उन्होंने घोषणा की है कि यदि उन्हें 26 दिसम्बर तक सुधार याचिका में आंकड़ों के सुधार की जानकारी नहीं मिली, तो वे सरकारों से अपना वादा पूरा करवाने के लिए शान्तिपूर्ण जन आन्दोलन शुरू करेंगे।

ज्ञात हो कि भोपाल गैस हादसे के लिए अमरीकी कम्पनी यूनियन कार्बाइड और उसके मालिक डाव केमिकल से अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए 2010 में केन्द्र सरकार द्वारा दायर सुधार याचिका की 10 जनवरी को सुनवाई होगी। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, 17 नवंबर को भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग की प्रमुख सचिव ने एक बैठक में हमें आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के विचारों के अनुरूप राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सुधार याचिका में हादसे से जुड़ी मौतों का आंकड़ा 5,295 से 15,342 तक संशोधित किया जाए और सभी 5,21,332 लोगों को लगी चोटों को अस्थाई के बदले स्थायी प्रकृति का माना जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज जमा किए हुए दो ह़फ्ते बीत चुके हैं और हम अभी भी यह नहीं जानते हैं कि राज्य सरकार ने वाकई आंकड़े सुधारे है या नहीं।

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के निर्देशों के मुताबिक, हमने हादसे से हुए नुकसान के आंकड़ों के सुधार के लिए दस्तावेज जमा कर दिए हैं। हालांकि, हम अभी भी इस बात की पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं कि हमारे द्वारा भेजी गई जानकारी वास्तव में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए दस्तावेजों के संकलन में शामिल की गई है।

केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों नौकरशाहों की इस मामले में साधी गई चुप्पी के खिलाफ बोलते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, हमने केंद्र सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों और राज्य सरकार के भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की लेकिन, उन्होंने इस संबंध में ठोस जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है।

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने कहा, अक्टूबर माह से सुधार याचिका पर कार्यवाही शुरू होने के बाद से हम अपना काम शान्ति और धीरज के साथ कर रहे हैं। याचिका पर जल्द ही सुनवाई होनी है और अगर हादसे से हुई वास्तविक क्षति के बारे में जजों को अंधेरे में रखा गया तो सुधार याचिका का पूरा बिंदु ही खो जाएगा और भोपाल गैस पीड़ित फिर से न्याय से वंचित कर दिए जाएँगे। हम 26 दिसम्बर तक इंतजार करेंगे कि सरकारें हमें बताएँ कि उनके वादों के मुताबिक मौतों और स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के आंकड़ों को वाकई सुधारा गया है। 26 दिसंबर के बाद हम अपने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों के समर्थन में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण सीधी कार्रवाई शुरू करेंगे।

डॉव कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की नौशीन खान ने कहा है, अक्टूबर में अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी सरकार भोपाल पीड़ितों के सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि वास्तव में सरकार ने अपना वादा निभाया है तो इस मसले पर पारदर्शिता का इतना अभाव क्यों है? सरकार की कथनी और करनी में इतना फर्क क्यों होता है?

(आईएएनएस)

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Created On :   20 Dec 2022 4:30 PM IST

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