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गांव की सीमाओं को बंद कर पूरी रात होती है ईष्ट देवता की पूजा
मोहनिश चिपीये, गड़चिरोली। आदिवासी समुदाय में पूजा-अर्चा को विशेष महत्व प्राप्त है। खेती में हल चलाना हो या खेत से फसल की कटाई करना हो, सर्वप्रथम गांव के बड़े-बुजुर्गों की उपस्थिति में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चा की जाती है। इसी तरह की एक अनोखी पूजा सिरोंचा तहसील के अादिवासी बहुल ग्राम वेनलाया में रविवार की रात को हुई। लेकिन इस पूजा से पहले गांव के युवकों ने गांव की सारी सीमाओं को बंद करने मुख्य रास्तों पर पेड़ काटकर बिछाए। रास्ता बंद करने के बाद गांव पूजारी के माध्यम से भूतबाधा से बचने और खरीफ सत्र के दौरान अच्छी फसलों के लिए मन्नत मांगी गयी। इस दौरान बकरे, सुअर और मुर्गों की बलि देकर गांवभोज का आयाेजन भी किया गया। आदिवासियों की यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है, जिसे आज की युवा पीढ़ी ने भी अपनाया है। सिरोंचा तहसील मुख्यालय से 27 किमी दूर और ग्राम बाम्हणी से महज 5 किमी पर बसें वेनलाया गांव में बारिश का मौसम शुरू होने से पूर्व हर वर्ष इस तरह की पूजा की जाती है।
क्षेत्र के आदिवासी नागरिक किसी भी शुभ की शुरुआत करने से पूर्व अपने ईष्ट देवता बुढ़ादेव और ठाकुरदेव की विधिवत पूजा अर्चा करते हैं। गांव में एक बैठक का आयोजन कर इस वर्ष की पूजा तिथि रविवार को करने का तय किया गया। तय कार्यक्रम के अनुसार, गांव के युवकों ने सर्वप्रथम गांव में प्रवेश करने वाली सभी सड़कों पर पेड़ काटकर बिछा दिए। गांव की सीमाओं को पूरी तरह बंद कर दिया गया। इसके पूर्व गांव के किसी भी व्यक्ति के घर में यदि कोई मेहमान आया हो तो उसे गांव से चले जाने की सूचना दी गयी। यह प्रक्रिया पूर्ण कर शाम होते ही समूचा गांव गोटूल भवन में इकट्ठा हुआ। जहां गांव पुजारी वंजा वेलादी और मेघा तलांड़ी के हाथों पूजा-अर्चा शुरू की गयी। गोटूल भवन में पूजा संपन्न करने के बाद पुजारियों ने गांव के सभी घरों के समक्ष पहुंचकर अगरबत्ती, लोभान और गुलाल छिड़ककर पूजा की। यह पूजा रविवार की पूरी रात चलती रही। इस बीच अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बकरों, सुअरों और मुर्गों की बलि भी दी गयी।
सामूहिक रूप से पकाया गया भोजन का नैवेद्य देवताओं को समर्पित करने के बाद इसे सामूहिक रूप से पराेसा गया। यह भोजन भी गांव के नागरिकों के लिए ही होता है। इसे किसी अन्य गांव के व्यक्ति को परोसा नहीं जाता। भोजन करने के बाद भोजन का कूड़ा और पत्तल एक गड्ढे में डालकर पाटा गया। गांव में इस तरह की यह पूजा हर वर्ष की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को भूतबाधा से बचाने और अच्छी फसल के लिए होता है। जिले के अन्य गांवों में भी अच्छी फसलों के लिए पूजा-अर्चा की जाती है, लेकिन वेनलाया की तरह गांव की सीमाओं को बंद नहीं किया जाता। वेनलाया गांव के आदिवासियों की यह परंपरा वर्तमान में चर्चाओं का विषय बन रही है।
Created On :   14 Jun 2022 3:02 PM IST