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जिला अस्पताल में नवजात शिशु की संदेहास्पद मौत पर शव रखकर परिजनों ने किया प्रदर्शन, जांच के निर्देश
डिजिटल डेस्क उमरिया। जिला अस्पताल में सोमवार को नवजात शिशु की मृत्यु पर हंगामा हो गया। परिजनों का आरोप है कि इलाज में कोताही बरती गई। २४ घंटे पहले जच्चा-बच्चा को ठीक बताया गया। फिर अगले दिन बच्चे को मरा बताते हुए क्षत-विक्षत शव पकड़ाया गया है। मृतक शिशु को लेकर माता पिता व परिजन गेट पर धरने में बैठ गए। दोषी डॉक्टर व स्टॉफ पर कार्रवाई की मांग करने लगे। आनन-फानन में सीएमएचओ आरके मेहरा ने एक टीम गठित कर जांच के निर्देश जारी किए हैं।
सोमवार को करीब एक बजे घटनाक्रम के तूल पकड़ने पर काफी संख्या में लोग अस्पताल के गेट पर एकत्र हो गए थे। अस्पताल प्रबंधन पर देखरेख में लापरवाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। मृत नवजात शिशु को गोद में लेकर गेट पर धरना चालू कर दिया। हंगामे की स्थिति को देखकर पूरे अस्पताल में अफरा तफरी मच गई। सभी डॉक्टर सिविल सर्जन के कक्ष में पहुंच गए। ईधर थाने से उपनिरीक्षक बालेन्द्र शर्मा सहित एक दर्जन पुलिस बल घटना स्थल पर तैनात हो गए। लोग नारेबाजी करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। कलेक्टर ने सीएमएचओ को कार्रवाई के लिए भेजा। उन्होंने जांच के निर्देश दिए। तब जाकर लोगों का आक्रोश शांत हुआ। इस दौरान काफी संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद रही। करीब दो तीन घंटे तक यह बवाल चलते रहा। लिखित शिकायत भी पुलिस से की गई। तहसीलदार बांधवगढ़ एआर चिरामन ने पहुंचकर डॉक्टर के बयान लिए। जांच कर कार्रवाई की बात कही है।
24 साल का इंतजार, लापरवाही से दुखद अंत
जानकारी के मुताबिक सत्यनारायण का परिवार घर में पिछले २४ साल से नए मेहमान का इंतजार कर रहा था। गर्भवती सविता के शुरूआती पांच माह ठीक गुजरे थे। जिला अस्पताल में पदस्थ महिला डॉक्टरों के यहां ही जांच व देखरेख चल रही थी। पीड़ित सत्यनारायण ने बताया रविवार को खलेसर स्थित घर में प्रसूता सविता गुप्ता को पेट में दर्द हुआ था। डॉ. ज्योति मरकाम के पास जाने पर उन्होंने जांच कर अस्पताल में भर्ती करवा दिया। दिनभर सब कुछ ठीक बताया गया। सोमवार की सुबह डॉक्टर ने बच्चे की जीवित होने पर संदेह जताते हुए ऑपरेशन कर शिशु को बाहर निकालने की बात कहने लगी। अचानक यह बात सुनकर परिजन भौचक्के रह गए। उन्होंने डॉक्टर से सामान्य प्रसव करने के लिए कहा। मान मनौव्वल के बाद जब प्रसव हुआ तो नवजात शिशु मृत था। शव की हालत ठीक नहीं थी। गर्दन के पास गहरा घाव था। यह देखकर बच्चे के माता-पिता भड़क गए। परिजनों समेत काफी लोग एकत्र होकर इलाज में कोताही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग करने लगे। पीड़ित पक्ष की तरफ से लिखित आवेदन भी थाना प्रभारी को दिया गया है। इस पूरे घटनाक्रम में डॉक्टर ज्योति मरकाम द्वारा लापरवाही व गलत इलाज से बच्चे की मृत्यु होना कहा गया है। बहरहाल प्रशासन की तरफ से तहसीलदार बांधवगढ़ एआर चिरामन भी वहां पहुंचे थे। उन्होंने पहले पीड़ित पक्ष की तरफ से बात की। मृत शिशु की हालत देखकर उचित कार्रवाई की बात कही। फिर डॉक्टर व चिकित्सकीय स्टॉफ का पक्ष जाना है।
महिला डॉक्टर का बर्ताव ठीक नहीं
प्रदर्शन कर रही एक महिला ने बताया जब वे लोग रविवार को सुबह नौ बजे प्रसूता के साथ भर्ती हुए थे। तब सब कुछ ठीक बताया गया था। इस दौरान आवश्यक जांच आदि कराने की बात कहने पर डॉक्टर ज्योति मरकाम भड़क गई। परिजनों पर झल्लाते हुए दूसरे डॉक्टर से दिखाने के लिए कह दिया। यही नहीं आंदोलनकारियों का कहना था कि महिला डॉक्टर जान बूझकर इस तरह से लापरवाही कर रही थीं। क्योंकि वे उन्होंने पूर्व में रश्मि धनंजय को दिखवाया था। दोनों डॉक्टर इलाज की बजाए एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे।
तीन दिन में जांच कर देंगे रिपोर्ट
सोमवार को हंगामे की खबर लगते ही कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ. आरके मेहरा को जिला अस्पताल भेजा। उन्होंने लोगों की नाराजगी को देखते हुए उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। सिविल सर्जन कक्ष में देखरेख कर रहे नर्सिंग स्टॉफ से मरीज की देखरेख के संबंध में जानकारी ली। डॉक्टर ज्योति मरकाम भी वहीं कक्ष में मौजूद रहीं। सिविल सर्जन ने बताया घटनाक्रम को देखते हुए एक टीम गठित है। डॉ. बृजेश प्रजापति, डॉ. एसके निपाने व एक अन्य चिकित्सक मृत शिशु का परीक्षण कर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। जांच में शिशु के मौत का कारण, इलाज के दौरान दी गई दवाए व अन्य मुद्दे शामिल हैं।
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट होगा कारण
घटनाक्रम की जानकारी लगते ही हमने डॉक्टर व स्टॉफ से पूछताछ की है। उपचार के दौरान लापरवाही के आरोप परिजनों की तरफ से मिले हैं। इसकी जांच के लिए तीन डॉक्टरों की टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। तीन दिन में ये अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।
डॉ. आरके मेहरा, सीएमएचओ
Created On :   12 Oct 2022 4:51 PM IST