त्रेतायुग में रखी थी समानता के अधिकार की नीव: द्वारा डॉ. भावना राय पटेल 

The foundation of right to equality was laid in Tretayug: Dr. Bhavna Rai Patel
 त्रेतायुग में रखी थी समानता के अधिकार की नीव: द्वारा डॉ. भावना राय पटेल 
महाशिवरात्री स्पेशल  त्रेतायुग में रखी थी समानता के अधिकार की नीव: द्वारा डॉ. भावना राय पटेल 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करने की इच्छुक थीं. सभी देवता गण भी इसी मत के थे कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह शिव से होना चाहिए. देवताओं ने कन्दर्प को पार्वती की मद्द करने के लिए भेजा. लेकिन शिव ने उन्हें अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया. अब पार्वती ने तो ठान लिया था कि वो विवाह करेंगी तो सिर्फ भोलेनाथ से. शिव को अपना वर बनाने के लिए माता पार्वती ने बहुत कठोर तपस्या शुरू कर दी. उनकी तपस्या के चलते सभी जगह हाहाकार मच गया. बड़े-बड़े पर्वतों की नींव डगमगाने लगी. ये देख भोले बाबा ने अपनी आंख खोली और पार्वती से आवहन किया कि वो किसी समृद्ध राजकुमार से शादी करें. शिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है। लेकिन माता पार्वती तो अडिग थी, उन्होंने साफ कर दिया था कि वो विवाह सिर्फ भगवान शिव से ही करेंगी. अब पार्वती की ये जिद देख भोलेनाथ पिघल गए और उनसे विवाह करने के लिए राजी हो गए. शिव को लगा कि पार्वती उन्ही की तरह हठी है, इसलिए ये जोड़ी अच्छी बनेगी।

सभी देवी और देवता भांति भांति के विमान से शिवजी के विवाह में सम्मलित होने के लिए पहुंचे! शिवजी ने भृंगी को भेजकर अपने सभी गणों को बुला लिया। शिव के गणों में कोई बिना मुख का है, किसी के बहुत से मुख हैं, कोई बिना हाथ-पैर का है तो किसी के कई हाथ-पैर हैं। किसी के बहुत आँखें हैं तो किसी के एक भी आँख नहीं है। कोई बहुत मोटा-ताजा है, तो कोई बहुत ही दुबला-पतला है। कोई बहुत दुबला, कोई बहुत मोटा, कोई पवित्र और कोई अपवित्र वेष धारण किए हुए है। भयंकर गहने पहने हाथ में कपाल लिए हैं और सब के सब शरीर में ताजा खून लपेटे हुए हैं। गधे, कुत्ते, सूअर और सियार के से उनके मुख हैं। गणों के अनगिनत वेषों को कौन गिने? बहुत प्रकार के प्रेत, पिशाच और योगिनियों की जमाते हैं। उनका वर्णन करते नहीं बनता। भूत-प्रेत नाचते और गाते हैं, वे सब बड़े मौजी हैं। देखने में बहुत ही बेढंगे जान पड़ते हैं और बड़े ही विचित्र ढंग से बोलते हैं॥ जैसा दूल्हा है, अब वैसी ही बारात बन गई है। मार्ग में चलते हुए भाँति-भाँति के कौतुक (तमाशे) होते जाते हैं।

बारात जब द्वार पर पहुंची तो सभी स्त्रियां भाग गई। हिमाचल की स्त्री (मैना) को दुःखी देखकर सारी स्त्रियाँ व्याकुल हो गईं। मैना अपनी कन्या के स्नेह को याद करके विलाप करती, रोती और कहती थीं। मैंने नारद का क्या बिगाड़ा था, जिन्होंने मेरा बसता हुआ घर उजाड़ दिया और जिन्होंने पार्वती को ऐसा उपदेश दिया कि जिससे उसने इस बावले वर के लिए कठोर तप किया। तब नारद ने शिव और पार्वती के पूर्वजन्म की कथा सुनाकर सबको समझाया और उन्होंने शिवजी के गुणों और शक्तियों की चर्चा की। तब कहीं जाकर हिमालय और मैना मानें और यह विवाह संपन्न हुआ।

 शिव बारात (पुराणों) ने दी थी हमें समानता के अधिकार की सीख: 
 
हमारे इष्ट देव ने ये सीख सदियों पहले ही दे दी थी की अगर राष्ट्र की रक्षा करनी है तो हमें हर वर्ग हर जाति हर प्रजाति चाहे मानव जाति ,पशु पक्षी या फिर जीव जंतु सबको समानता के दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
हर कुल  के व्यक्तियों के लिए समानता के अधिकार का पालन करना जिसमे धर्म, वंश, जाति लिंग या जन्‍म स्‍थान के आधार पर भेदभाव का निषेध शामिल है

 द्वारा- 

डॉ. भावना राय पटेल 

 गाइनेकोलॉजिस्ट / साइकोलॉजिस्ट / काउंसलर - मदर एन बेबी केयर सेंटर भोपाल

Created On :   18 Feb 2023 1:19 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story