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गड़चिरोली में श्वेतक्रांति का सपना अधर में
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। उद्योग विहीन गड़चिरोली जिले में रोजगार के साधन के रूप में एकमात्र खेती-किसानी को प्राथमिकता दी जाती है। जिले के किसानों के पास बड़ी संख्या में मवेशी उपलब्ध हैं। इसके माध्यम से दूध का व्यवसाय कर किसान खेती को वैकल्पिक जोड़ दे सकते हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण जिले की 62 दूध सहकारी संस्थाएं बंद पड़ी है। सदियों से देखा जा रहा श्वेतक्रांति का सपना अब तक अधर में होने से किसानों को केवल खेती पर निर्भर रहकर अपना जीवनयापन करना पड़ रहा है।
बता दें कि, तत्कालीन केंद्र सरकार ने वर्ष 1970 में समूचे देश में श्वेतक्रांति लाने का प्रयास आरंभ किया था। इसी तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी राज्य के सभी जिलों में दूध सहकारी संस्थाओं के माध्यम से दूध संकलन का कार्य आरंभ किया। गड़चिरोली जिले में इस दौरान तकरीबन 62 दूध सहकारी संस्थाओं को मंजूरी प्रदान करते हुए दूध संकलन का कार्य आरंभ किया गया। लेकिन सरकार द्वारा इस कार्य में लगातार अनदेखी किये जाने और अनुदान के अभाव में यह सहकारी संस्थाएं अब बंद पड़ गयी है। गड़चिरोली जिले में दूध उत्पादक किसानों की संख्या काफी मात्रा में है। लेकिन सहकारी संस्थाएं बंद होने के कारण किसानों को कम दामों में दूध की बिक्री करनी पड़ रहीं है। एकमात्र खेती-किसानी से किसानों को अपने परिवार का गुजर-बसर करना पड़ रहा है। सहकारी संस्थाएं आरंभ कर श्वेतक्रांति के सपने को पूर्ण करने की मांग किसानों द्वारा निरंतर की जा रही है।
Created On :   8 Feb 2022 4:18 PM IST