उपेक्षित महिलाओं की स्थिति आज भी गंभीर : हेरंब कुलकर्णी

The condition of neglected women is still serious: Heramb Kulkarni
उपेक्षित महिलाओं की स्थिति आज भी गंभीर : हेरंब कुलकर्णी
अकोला उपेक्षित महिलाओं की स्थिति आज भी गंभीर : हेरंब कुलकर्णी

डिजिटल डेस्क,  अकोला ।  पहले के समय में महिलाओं पर मानसिक, शारीरिक अत्याचार होते थे और इसमें भी उपेक्षित महिलाओं के प्रश्न अधिक भयावह है। ऐसी उपेक्षित महिलाओं को केवल सहानुभूति न जताते हुए उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने से इन उपेक्षित महिलाओं को भी समाज में स्वाभिमान से जीवन व्यतित कर सकने ते विचार ज्येष्ठ व्याख्याता हेरंब कुलकर्णी अहमदनगर ने व्यक्त किए।बाबूजी वाचनालय में चल रही नवरात्रि व्याख्यानमाला के सातवंे पुष्प को पिरोते हुए उन्हेंने ‘उपेक्षित महिलाओं की उपेक्षित वेदना’ विषय पर ओक सभागृह में व्याख्यान प्रस्तुत किया। वंचित व उपेक्षित महिलाओं के शोषण में समाज प्रतिष्ठा होती है। विदेशों से भारत तक विश्व से सभी धर्मग्रंथों में महिलाओं पर होनेवाले अत्याचार के लिए एक प्रकार से मान्यता ही दी है। कुछ कम जादा फरक से सभी स्थानों की पध्दति एक समान है। इजिप्त, जर्मनी, चीन में सती प्रथा थी।

 महिलाओं को अमानुष रुप से जीवित जलाने या गाड़ने की प्रथा थी। इसके कारण यह कृत्य करते समय गलत, पाप या गुनाह करने की बात किसी के मन में नहीं आती थी। क्योंकि इसे करने की अनुमति धर्म की ओर से प्राप्त थी की बात कुलकर्णी ने कही। विधवा महिलाओं के प्रश्नों पर स्वतंत्रता के पूर्व अनेक काम किए गए। ेपरंतु विघवा महिलाओं की परिस्थिति आज भी विकट बनी हुई है। एकल महिलाओं की परिस्थिति तो और भी कठीन होती है। विधवा महिलाओं को समाज की सहानुभूति होती है परंतु एकल महिलाओं का विषय इसके विपरित होता है। उलटा समाज ही उस एकल महिला को दोष देता है। वाराणसी और वृंदावन तीर्थक्षेत्र में रहनेवाली विधवा महिलाओं को जीना मतलब जीवित रहते हुए ही नर्क की यातना झेलने के समान है। इन महिलाओं के सवालों की ओर अधिकतर कोई विचार नहीं करता। ऐसा जीवन जीनेवाली महिलाओं पर बड़ी संख्या में साहित्य निर्माण हुआ तो निश्चित उनकी आवाज समाज तक पहुंचेंगी। ऐसी आशाल हेरंब कुलकर्णी ने व्यक्त की। सैनिकों की विधवा, राेड दुर्घटना में मौत हुए चालक की पत्नी, शराब पिकर मरनेवाले व्यक्ति की विधवा, आत्महत्या करनेवाले किसान की विधवा, कोरोना ग्रस्त की विधवा आदि मानसिक स्तर पर लडाई लड कर जीवन में संघर्ष कर उन्हें जीना पड़ता है। परंतु आज भी राजकिय इच्छा शक्ति के अभाव में ऐसी महिलाओं का हर स्तर पर संघर्ष करना पड़ता है। वारांगणाओं के सवाल को सबसे अधिक गंभीर होने की बात कर कुलकर्णी ने अनेक व्यथा बताई। हिंगोली जिले के जोडतला ग्राम के पारधी समाज की महिला के संघर्ष की वास्तव कथा कुलकर्णी ने बताकर वंचित, उपेक्षित महिलाओं की वेदनाओं को श्रोताओं तक पहुंचाया। 
 

Created On :   15 Oct 2022 5:20 PM IST

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