‘स्व’ के जागरण से बनेगा श्रेष्ठ भारत : सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले

The best India will be made by the awakening of self: Sarkaryavah Dattatreya Hosabale
‘स्व’ के जागरण से बनेगा श्रेष्ठ भारत : सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले
श्रेष्ठ भारत बनाने में प्रबुद्धजन की भूमिका ‘स्व’ के जागरण से बनेगा श्रेष्ठ भारत : सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले
हाईलाइट
  • जीवनदर्शन को युगानुकूल बनाने की जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्वाधीनता के अमृतकाल में श्रेष्ठ भारत का निर्माण करने के लिए अनेक प्रकार के उद्यम करने होंगे। आर्थिक, ज्ञान–विज्ञान, सामरिक और अन्य क्षेत्रों में हम अग्रणी रहें, इसके प्रयास हो रहे हैं। लेकिन श्रेष्ठ भारत होने के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है। अपितु भारत के ‘स्व’ का जागरण करके उसके अनुरूप समाज का निर्माण करना होगा। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला एवं न्यास के अध्यक्ष सतीश पिंपलीकर मंच पर उपस्थित रहे। 

‘श्रेष्ठ भारत बनाने में प्रबुद्धजन की भूमिका’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत 75 वर्ष पुराना देश नहीं है। यह हजारों वर्ष से है। भारत ऐसा देश है जिसने हजारों वर्षों में विश्व को आदर्श जीवनशैली सिखाई है। हम दुनिया के लिए बड़े भाई हैं। बड़े भाई के नाते हमारा दायित्व है, विश्व को जीवन को चलाने के लिए आदर्श मार्गदर्शन देना, उन्हें करुणा और अपनत्व देना। उन्होंने बताया कि चीन के राजदूत एवं विद्वान हू शी ने कहा है– भारत ने एक भी सैनिक भेजे बिना 2000 वर्षों तक चीन के जीवन पर वर्चस्व किया है। भारत ने यह राजनीतिक तौर पर नहीं बल्कि आध्यात्मिक तौर पर किया। 

भारत की स्वाधीनता के बाद बनी परिस्थितियों को रेखांकित करते हुए सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि हमने 15 अगस्त 1947 को राजनीतिक रूप से स्वाधीनता तो प्राप्त की लेकिन क्या हम स्वतंत्र हुए? स्वाधीनता मिलने के बाद ‘स्व’ के आधार पर अपने देश का तंत्र विकसित हुआ क्या? उस समय महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, वीर सावरकर जैसे अन्य विभूतियों ने स्वतंत्र भारत कैसा होना चाहिए, इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद से उन विचारों पर चर्चा नहीं हुई। इसलिए हम स्वाधीन होने के बाद भी मानसिक रूप से औपनिवेशक बने रहे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने पत्र लिखकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को लिखा कि ‘हिंद स्वराज’ पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन नेहरूजी ने हिंद स्वराज पर चर्चा को अप्रासंगिक बताकर नकार दिया। 

उन्होंने कहा कि हम मिडल ईस्ट कहते हैं, क्यों कहते हैं? हमारे लिए तो यह मिडल ईस्ट नहीं है। यूरोप के लिए यह मिडल ईस्ट है। इस छोटी से बात से ध्यान आता है कि हमारी सोच अभी भी यूरोप केंद्रित है। उन्होंने बताया कि जस्टिस रमण ने कहा है– न्यायपालिका भारत के अनुकूल नहीं है। 

सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कई सांकेतिक बदलाव हुए हैं जो संकेत देते हैं कि हम औपनिवेशिकता से बाहर निकल रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी होने वाले पत्रों पर राष्ट्रीय पंचांग की तिथि अंकित होने लगी है, राजपथ अब कर्तव्य पथ हो गया है और जार्ज पंचम के लिए लगाई गई छतरी में अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा है। इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इस दिशा में प्रयास है। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश पत्रकार मार्क टुली कहते थे– अंग्रेजों की प्रशासनिक मशीनरी को ही भारत के लोग अब तक चला रहे हैं। जबकि उन्हें अपने अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था बनानी चाहिए। 

सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि भारत करवट ले रहा, भारत की एकात्म  का अनुभव आ रहा है, भारत की मान्यता बढ़ रही है। इसलिए भारत के ‘स्व’ को जगाने का यह अमृतकाल है। भारत का ‘स्व’ उसकी संस्कृति में है। भारत के ‘स्व’ को समझ कर प्रबुद्धजनों को युगानुकूल व्यवस्थाएं बनानी चाहिए। अपने जीवनदर्शन को युगानुकूल बनाने की जिम्मेदारी विद्वानों की है। श्रेष्ठ भारत का निर्माण ‘स्व’ के आधार पर ही किया जा सकता है। ‘स्व’ को जाग्रत करने के लिए भारत के संदर्भ में चलाने वाले विमर्श को बदलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जिस तरह की उपलब्धियां प्राप्त की हैं, वे दुनिया के लिए उदाहरण हैं। विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर दुनिया के आर्थिक विशेषज्ञ भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को स्वीकार कर रहे हैं। विद्वान लोग मान रहे हैं कि आनेवाला दशक ही नहीं अपितु यह शताब्दी भारत के नाम रहने वाली है। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि पिछले 75 वर्ष इस विश्व के लिए अभूतपूर्व परिवर्तन का काल रहा है। तकनीक के विकास ने दुनिया को देखने का नजरिया बदल दिया है। हमने 75 वर्ष पूर्व एक नई यात्रा प्रारंभ की। इस यात्रा में हमने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इन उपलब्धियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि जी–20 समूह की अध्यक्षता का यह अवसर अपनी संस्कृति को पुनः दुनिया के सामने रखने का है। समाज में बने नकारात्मक वातावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति को बेचारा ईमानदार और कानून तोड़ने वाले लोगों को स्मार्ट समझने का दुर्भाग्यपूर्ण वातावरण बन गया है। इसके साथ ही अनुशासनहीनता और कृत्रिम प्रतिस्पर्धा का भी एक अजीब वातावरण बन गया है। समाज की इस स्थिति को बदले बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। 

इस अवसर पर सरकार्यवाह होसबाले और शुक्ला ने वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को ही संसद भवन पर आतंकी हमले में बलिदान हुए सुरक्षाकर्मियों का स्मरण किया। न्यास के सचिव सोमकांत उमालकर ने संचालन और कोषाध्यक्ष छत्रवीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 

14 दिसंबर को शाम 5:30 बजे दीपक विस्पुते का व्याख्यान : 
व्याख्यानमाला में दूसरे दिन यानी बुधवार को ‘ध्येयनिष्ठ जीवन की दिशा’ विषय पर युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक  दीपक विस्पुते संबोधित करेंगे। व्याख्यान की अध्यक्षता आरटेक सॉल्यूशन लिमिटेड के चेयरमैन अमित अनिल राजे करेंगे। व्याखान रविन्द्र भवन के सभागार में आयोजित होगा।

Created On :   14 Dec 2022 4:53 PM IST

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