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सुप्रीम कोर्ट हैरान , राहत देने के बावजूद एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर हैरानी जताई है की उसके द्वारा महाराष्ट्र के एक व्यक्ति को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान करने के आदेश के बावजूद पुलिस ने न केवल उस व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया बल्कि मजिस्ट्रेट के आदेश पर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 7 जुलाई को सुनवाई करेगा।
दरअसल, यह मामला लातुर का है और वहां के एक पंडित के खिलाफ कथित धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने पंडित की याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। पीठ ने पाया कि इस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में पिछले साल 7 मई को शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से राहत देते हुए नोटिस जारी किया था, जो 6 सप्ताह के भीतर वापस करने योग्य था और आदेश दिया कि इस बीच याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि इस व्यक्ति की किसी और मामले में पुलिस को आवश्यकता नहीं है तो उसे सोमवार को ही रिहा किया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने नोटिस 7 मई 2021 का आदेश की वापसी की तारीख से छह सप्ताह की गणना की, जो सही नहीं था। अभियोजन पक्ष ने मजिस्ट्रेट की कोर्ट से 24 जून 2022 को गैर जमानती वारंट हासिल कर लिया। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में लिखा कि शीर्ष कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी होने के छह सप्ताह बाद समाप्त हो चुका है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को न्यायिक हिरासत में लेने का यह एकमात्र कारण है।
Created On :   5 July 2022 3:50 PM GMT