नागपुर यूनिवर्सिटी  में "वीसी' के ऊपर "सुपरवीसी'

SuperVC over VC in Nagpur University
नागपुर यूनिवर्सिटी  में "वीसी' के ऊपर "सुपरवीसी'
सुर्खियों में नागपुर यूनिवर्सिटी  में "वीसी' के ऊपर "सुपरवीसी'

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के गलियारों में इन दिनों एक "सुपरवीसी" चर्चा में है। कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी के पदभार संभालने के बाद विश्वविद्यालय में नए अधिष्ठाता नियुक्त किए गए हैं। इनमें से एक अधिष्ठाता इतने तेज हैं कि हर काम में कुलगुरु से एक कदम आगे नजर आते हैं। विश्वविद्यालय की अाधिकारिक बैठक हो या पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा। यह अधिष्ठाता कुलगुरु के अगल-बगल ही मंडराते नजर आते हैं। यहां तक कि एक बार बोलना शुरू किया तो रोक पाना स्वयं कुलगुरु के बस की भी बात नहीं लगती। पत्रकारों से भी कुलगुरु किसी विषय पर बात करे या जानकारी दे तो उन्हें बीच में टोक कर अधिष्ठाता अपना ज्ञान बघारते रहते हैं। हद तो तब हुई जब विश्वविद्यालय को नैक से ए ग्रेड मिलने पर कुलगुरु ने पत्रकार परिषद आयोजित की। पत्रकार परिषद में कुलगुरु जैसे ही बोलने लगे तो "सुपरवीसी" महोदय उन्हें बीच में ही टोक कर शुरू हो गए। अमूमन विश्वविद्यालय में प्रोटोकॉल होता था कि जिस बैठक  या पत्रकार परिषद में कुलगुरु उपस्थित हो, वहां कोई भी कनिष्ठ अधिकारी तब तक नहीं बोलता जब तक उसे स्वयं कुलगुुरु जवाब देने न बोले, लेकिन नए दौर और नवनियुक्त अधिकारियों के इस तालमेल पर विश्वविद्यालय में अन्य अधिकारी-कर्मचारी खूब चटकारे लेते नजर आ रहे हैं। विवि में नई कहावत मशहूर हो गई है कि अब "वीसी" के ऊपर "सुपरवीसी" आ गए हैं।

विभाग प्रमुखों के अधिकारों पर कैंची
विवि ने हाल ही में अधिसूचना जारी करते हुए अपने नवनियुक्त अधिष्ठाताओं का अधिकार बढ़ा कर उन्हें विभाग प्रमुखों के ऊपर बैठा दिया है। नई अधिसूचना में चारों फैकल्टियों के अधिष्ठाताओं को संबंधित पीजी विभागों का "आॅफिसर इंचार्ज" नियुक्त किया गया है। यह ऑफिसर इंचार्ज अपने अधीन रखे गए पीजी विभागों के सभी अकादमिक और प्रशासकीय काम देखेंगे। इसमें विभाग के विद्यार्थियों के प्रवेश, छात्रवृत्ति, परीक्षा की स्कीम, शुल्क और स्थानांतरण प्रमाणपत्र जैसे काम भी शामिल है। विश्वविद्यालय के इस फैसले से विभाग प्रमुखों में तीव्र नाराजगी देखी जा रही है। विभाग प्रमुखों की मानें तो यह सीधे-सीधे उनके अधिकारों पर कैंची चलाने जैसा है। विश्वविद्यालय अधिनियम के कुछ अस्पष्ट प्रावधानों का अपने अनुसार अर्थ निकाल कर विश्वविद्यालय की संरचना से खेला जा रहा है। इस मामले में अधिसूचना जारी करने वाले कुलसचिव डॉ.राजू हिवसे से फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कोई प्रतिसाद नहीं दिया।


 

Created On :   18 Sept 2021 5:31 PM IST

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