बगैर पंजीयन के आवारा श्वानों को पहना रहे पट्टा

Stray dogs wearing leashes without registration
बगैर पंजीयन के आवारा श्वानों को पहना रहे पट्टा
नागपुर बगैर पंजीयन के आवारा श्वानों को पहना रहे पट्टा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  आवारा श्वानों को सार्वजिनक रूप से भोजन कराने और उन्हें गोद लेने के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक लगने के बाद नागपुर खंडपीठ में फिर एक बार इस मुद्दे पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट को बताया गया कि उपद्रवी श्वानों को पकड़ने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुछ श्वान प्रेमियों ने बगैर उनका पंजीयन किए श्वानों को पट्टे पहना दिए हैं, ताकि मनपा के श्वान पथक को लगे कि श्वान पालतू हैं। इस पर हाईकोर्ट ने मनपा को यह देखने को कहा कि वाकई आवारा श्वानों का पंजीयन करके ही पट्टा पहनाया गया है। 

{हाईकोर्ट ने मनपा को दिए जांच के आदेश 
अगली सुनवाई 7 दिसंबर को : बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने श्वान उपद्रव को रोकने के लिए पुलिस को भी आगे आने के आदेश दिए थे। बुधवार काे पुलिस आयुक्त की ओर से इस मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा गया। कोर्ट ने उन्हें समय तो दिया, साथ ही श्वान उपद्रव को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए भी कहा। इस मामले में मध्यस्थता करने के लिए कुछ स्वयंसेवी संगठन भी आगे आ रहे हैं। ऐसे में न्यायालयीन मित्र अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट को सलाह दी कि संगठनों की सत्यनिष्ठा जांचने के लिए उन्हें पहले 10 लाख रुपए कोर्ट में जमा करने को कहा जाए, इसके बाद ही उनकी मध्यस्थी अर्जी स्वीकार की जाए। हांलाकि हाईकोर्ट ने दो स्वयंसेवी संस्थाओं की मध्यस्थी अर्जी स्वीकार की, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि आगे जरूरत पड़ी, तो मध्यस्थी करने वाली नई संस्थाओं के लिए रकम भरने का नियम जरूर लागू किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को रखी है। मामले में मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. संदीप बदाना ने पैरवी की।
 

Created On :   24 Nov 2022 3:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story