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प्रदेश बसपा के नेता वीरसिंह ने पार्टी छोड़ी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बसपा के संगठनात्मक मामले में राज्य में डेढ़ दशक तक सक्रिय रहे वीरसिंह ने समाजवादी पार्टी में प्रवेश लिया है। संगठन कार्य के मामले में वे नागपुर में भी चर्चा में रहे हैं। उनके पार्टी छोड़ने पर बसपा की ओर से कहा गया है कि, संगठन काे लाभ ही होगा।
भावनाओं के विपरीत निर्णय लिया : शेवड़े
बसपा के प्रदेश सचिव उत्तम शेवड़े के अनुसार वीरसिंह उन नेताओं में शामिल रहे जो विविध चुनावों के समय कार्यकर्ताओं की भावनाओं के विपरीत निर्णय लेते रहे हैं। वे बसपा के महासचिव व 3 बार राज्यसभा सदस्य रहे। लिहाजा, उनके विरोध में कार्यकर्ता बोल नहीं पाते थे। एक अन्य पदाधिकारी के अनुसार वीरसिंह पर चुनावों के समय अन्य दलों से वसूली के आरोप लगते रहे।
प्रत्याशी चयन में दखल विवादित रहा
नागपुर ही नहीं विदर्भ में लोकसभा, विधानसभा की कुछ सीटों पर बसपा ने प्रभाव दिखाने का प्रयास किया। उम्मीदवार चयन में वीरसिंह की दखल विवादित रही। खासकर 2009 का लोकसभा चुनाव सबसे अधिक चर्चा में रहा। वीरसिंह के कहने पर भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष माणिकराव वैद्य को बसपा उम्मीदवार बनाया गया। उसके बाद वीरसिंह को पार्टी से हटाने के लिए बसपा कार्यकर्ताआें ने तालाबंदी आंदोलन शुरु किया था।
विवाद को हमेशा बल दिया : साखरे
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहे सुरेश साखरे ने कहा है कि, बसपा में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में विवाद को भी वीरसिंह बल देते रहे। बसपा उम्मीदवारों के विरुद्ध रणनीति में वीरसिंह शामिल रहे। प्रदेश में अध्यक्ष बदलते रहे, लेकिन प्रभारी पद पर वीरसिंह कायम रहे। एक पदाधिकारी ने कहा है कि दलितों में बौद्धिस्ट व गैरबौद्धिस्ट के अंतर के साथ जातीय राजनीति को भी वीरसिंह ने
Created On :   4 Oct 2021 2:46 PM IST