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नंगे पैर दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मनूर की श्री रेणुका माता
सुनील चौरे , बीड़। जिले के माजलगांव तहसील के मनुर में स्थित श्री रेणुका माता मंदिर में सोमवार 26 सितंबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। कोरोना काल के दौरान पिछले दो वर्षों से नवरात्रि उत्सव नहीं मनाया गया था, लेकिन अब कोरोना का प्रभाव कम होने के कारण सभी उत्सवों से प्रतिबंध हटा दिया गया है। इसी कारण इस वर्ष नवरात्रि उत्सव पूरे जोश के साथ मनाने की तैयारियां मंदिर समिति की ओर से मनुर के श्री रेणुका माता मंदिर में की गई है।
- भगवान परशुराम की माता है श्री रेणुका देवी
पुराणों के अनुसार रेणुका मामता जमदग्नि ऋषि की पत्नी थी। दोनों के पांच पुत्र थे, जिनमें से एक परशुराम भी थे। नियम था कि, प्रतिदिन रेणुका माता नदी से जल लाती थी और उस जल से जमदग्नि ऋषि स्थान करते थे और उसके बाद ही वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते थे। एक दिन माता रेणुका को जल लाने में किसी कारण से विलंब हो गया। इस बात से जमदग्नि ऋषि रुष्ठ हो गए और उन्होंने अपने पांचों पुत्रों को अपनी मां का सिर धड़ से अलग करने के आदेश दिया। मां की हत्या करना चार पुत्रों ने अस्वीकार कर दिया। पुत्रों के मना करने पर ऋषि ने उन्हें अचेत होने का श्राप दे दिया। इसके बाद परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और नदी से जल लेकर लौट रही अपनी माता का सिर काट कर हत्या कर दी। अ
पनी पत्नी का कटा सिर देखने के बाद जमदग्नि ऋषि का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने परशुराम से वर मांगने के लिए कहा। तब परशुराम ने उनसे तीन वर मांगे। पहला उनकी माता को पुन: जीवित कर दिया जाए, दूसरा जीवित होने के बाद उन्हें इस घटना की स्मृति न रहे और तीसरा उनके भाइयों की चेतना को लौटा दिया जाए। परशुराम की बात सुन कर जमदग्नि ऋषि ने कहा कि, वे रेणुका माता को जीवित तो कर सकते हैं, लेकिन यह प्रकृति के विधान के विपरित होगा, लेकिन उन्होंने परशुराम को यह वर अवश्य दिया कि, आज से 21 दिन के पश्चात तुम्हारी माता तुम्हे दर्शन अवश्य देगी। तब परशुराम ने उनके सिर को विधिवत स्थापित कर उनके शेष शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया। इसलिए देश भर में श्री रेणुका माता के जितने भी मंदिर हैं, वहां माता सिर्फ सिर रूप में ही विराजमान हैं और अपने भक्तों को इसी रूप में दर्शन देकर उनकी मनोकामना पुत्र की भांति पूर्ण भी करती हैं।
- मन्नत पूरी करती है माता
ऐसी मान्यता है कि, जो भी भक्त बिना चप्पल या जूते पहने नंगे पैर पैदल चल कर श्री रेणुका माता के दर्शन के लिए आता है, उसकी मनोकामना श्री रेणुका माता पूरी करती है। इस विश्वास के चलते नवरात्रि के दौरान मराठवाड़ा के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक भक्त नंगे पैर पैदल यात्रा कर मंदिर पहुंचते हैं। आस-पास के भक्त भी नंगे पैर ही माता के दर्शन के लिए आते हैं और मन्नत मांगते हैं।
- मंदिर की सजावट
नवरात्रि उत्सव के निमित्त मंदिर परिसर का रंगरोगन व साफ सफाई कर मंदिर को सजाया गया है। इसके अलावा भक्तों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण पुलिस प्रशासन की ओर से पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। भक्तों की भीड़ को देखते हुए जेबकतरें आदि असामाजिक तत्व भी सक्रिय रहते हैं। इन सभी पर अंकुश लगाने के लिए मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। साथ ही पुलिस नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है, जहां से असामाजिक तत्वों व जेबकतरों पर नजर रखी जाएगी।
- भक्तो को बांटी जाएगी उपवास सामग्री
अनेक भक्त नवरात्रि के पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं। ऐसे और आनेवाले सभी भक्तों के लिए मंदिर परिसर में ही चाय और साबूदाना खिचड़ी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दूर से आनेवाले भक्तों के ठहरने के लिए मंदिर परिसर के पुराने भक्त निवास की भी मरम्मत की गई है।
- सुबह 5 से रात 12 बजे तक खुले रहेंगे मंदिर के पट
श्री रेणुका माता मंदिर परिसर में शारदीय नवरात्र महोत्सव पर्व पर देवी के दर्शन की सुविधा सुबह 5 बजे से रात के 12 बजे तक की गई है।
- प्रसाद, फूल विक्रेता भी तैयार
कोरोना काल के दो साल के बाद होनेवाले इस नवरात्रि उत्सव पर मंदिर परिसर में प्रसाद, फूल विक्रेता भी खुश हैं। नवरात्रि उत्सव के निमित्त यहां मेला लगता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की दुकानें लगती है। इससे अनेक लोगों को रोजगार मिलता है और अच्छा मुनाफा भी होता है। इनमें प्रसाद, फूल विक्रेताओं के साथ ही माता की तस्वीर, जप मालाएं, पूजा सामग्री, बच्चों के खिलौने, खान-पान व्यवस्था की दुकानें आदि भी सज गई हैं।
Created On :   24 Sept 2022 1:36 PM IST