सेक्सुअल हरासमेंट: पीड़िताओं को 50-50 हजार का मुआवजा, SIT करेगी आगे की जांच

Sexual harassment in hostels victims get 50 thousand compensation
सेक्सुअल हरासमेंट: पीड़िताओं को 50-50 हजार का मुआवजा, SIT करेगी आगे की जांच
सेक्सुअल हरासमेंट: पीड़िताओं को 50-50 हजार का मुआवजा, SIT करेगी आगे की जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चंद्रपुर जिले के राजुरा स्थित इनफेंट जीजस इंग्लिश पब्लिक स्कूल की आदिवासी छात्राओं के यौन शोषण के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट में आदिवासी विकास विभाग सह-सचिव, आयुक्त, सीआईडी एसपी और अन्य आला अधिकारियों की उपस्थिति थी। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि आदिवासी विकास विभाग द्वारा स्कूल को नामांकित शालाओं की सूची से हटा दिया है। यहां के विद्यार्थियों को भी दूसरी नजदीकी स्कूल में स्थानांतरित करने की तैयारी चल रही है। वहीं, इस प्रकरण में अब तक पांच आरोपियों काे पुलिस ने हिरासत में लिया है। 

यह दिया आदेश 
मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने पीड़ितों को तुरंत मुआवजा देने की कार्रवाई शुरू करने का मुद्दा उठाया। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वे 6 पीड़िताओं के लिए अंतरिम मुआवजे स्वरूप 50-50 हजार रुपए उनकी माताओं के बैंक खातों में जमा कराएं। कोर्ट के अगले आदेश तक इस राशि को बैंक से निकाला नहीं जा सकेगा। वहीं, कोर्ट ने स्कूल बंद करके बच्चों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के बजाय राज्य सरकार को यह स्कूल चलाने पर विचार करने को कहा है, उन्हें इसके लिए तीन दिन का समय दिया गया है। वहीं मामले में यह भी निकल कर आया है कि अन्य कुछ पीड़ित छात्राओं के पालकों ने उनका मेडिकल टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया है।

ऐसे में कोर्ट ने विशेष जांच समिति (एसआईटी) को इस पर समाधान निकालते हुए अपनी जांच आगे बढ़ाने के आदेश दिए। उन्हें अपनी जांच रिपोर्ट सील लिफाफे में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग पर स्कूल संचालक संंस्था को प्रतिवादी बना कर नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई 26 अप्रैल को रखी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा, सरकारी की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी और सरकारी वकील टी.ए.मिर्जा ने पक्ष रखा। 

स्कूल में पढ़ती हैं बच्चियां
याचिकाकर्ता गोंड और प्रधान समुदाय से है। उनकी बच्चियां स्कूल में कक्षा 5वीं से लेकर 7वीं में पढ़ती हैं। 6 अप्रैल को स्कूल की कुछ छात्राएं बीमार पड़ीं, तो उन्हें राजूरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि उनके साथ दुराचार हुआ है। मामले में आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी ने 6 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दी थी। पुलिस ने 12 अप्रैल को रिपोर्ट दर्ज की। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मामले में पुलिस द्वारा उनके साथ किए गए अमानवीय और अशोभनीय बर्ताव का भी प्रमुखता से जिक्र किया है। पुलिस पर आरोप है कि वह मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है।

Created On :   23 April 2019 11:30 AM IST

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