MP चुनाव : मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में सर्च ऑपरेशन

search operation in maharashtra due to madhya pradesh assembly election 2018
MP चुनाव : मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में सर्च ऑपरेशन
MP चुनाव : मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में सर्च ऑपरेशन

सोमनाथ कोठुले, सेंधवा। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का खुमार चरम पर पहुंच गया है। आगामी 28 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, लेकिन इसके लिए महाराष्ट्र में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। दक्षिण मध्यप्रदेश के सबसे आखरी विधानसभा क्षेत्र सेंधवा से हजारों मजदूर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के शिरपुर, धुलिया, नंदूरबार, नाशिक, मुंबई सहित पश्चिम महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में आए हैं। इनके नाम यहां की मतदाता सूची में पंजीकृत है। इसमें सैकड़ों किसान भी शामिल हैं। जिनके पास जमीन तो है, लेकिन नर्मदातट पर होने के बावजूद सिंचाई के लिए पानीं नहीं है। इसलिए वह पड़ोसी राज्य में दूसरों की खेती में कार्य करने के लिए मजबूर हैं।

शहर से पलायन करने वालों का आंकड़ा बड़ा है। जिसका विधानसभा चुनाव पर असर हो सकता है। जिसे ध्यान में रखकर संबंधित बेरोजगार मतदाताओं की  सूची बनाने का कार्य विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के कार्यालय में चल रहा है। इसके लिए राजनीतिक दलों ने मुख्य रूप से मजदूर ठेकेदारों पर अपना ध्यान केंद्रित किया गया है। अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए मजदूर और ठेकेदारों पर साम, दाम, दंड और भेद को आजमाया जा रहा है।  अधिकतर मजदूर खेती और निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र और गुजरात में गन्ना कटाई का कार्य चल रहा है।

जिन्हें रोकने के लिए शुगर मिल के अध्यक्ष और किसान तैयार नहीं है। मजदूर वोट डालने के लिए वापस नहीं आने पर इसका असर चुनाव के वोट प्रतिशत पर हो सकता है। इसलिए इसके फायदे और नुकसान का हिसाब उम्मीदवार लगा रहे हैं। सूत्रों की माने तो यह आंकड़ा करीब चालीस से पचास हजार है। 

चुनाव के समय आती है हमारी याद
गांव में केवल बुजुर्ग लोग हैं। सरकार को नर्मदा का पानी सेन्धवा तक पहुंचाना चाहिए। इससे रोजगार मिलने में बड़ी मदद मिलेगी। सरकार को हमारी याद तब आती है। जब चुनाव आता है। हम केवल मतदान का जरिया बन चुके हैं। 
राकेश वर्मा, निवासी, सेंधवा,  

इसलिए महाराष्ट्र में शुरू किया कारोबार
सेंधवा में लगभग 110 जिनिंग मिल थी। इसमें से केवल 12 शुरू है। अन्य बंद हो चुकी है। 2004 में महाराष्ट्र सरकार ने एकाधिकार को समाप्त किया। इसके बाद मप्र में कपास आना बंद हुआ। महाराष्ट्र सरकार ने मप्र सरकार की तुलना में अधिक सुविधा दी। इसलिए हमने यहां के कारखाने बंद कर दिए और महाराष्ट्र में कारोबार शुरू किया।  
गोपाल तायल उपाध्यक्ष, मप्र काटन एसोसिएशन,

दुग्ध कारोबारी, सेंधवा  
यह बात सही  है कि यहां रोजगार नहीं है। भूखमरी से बचने के लिए बेरोजगार पड़ोसी राज्यों का सहारा ले रहे हैं। जिनकी संख्या हजारो में है। उन्हें मतदान कराने के लिए वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। 
प्रिंस शर्मा, नेता प्रतिपक्ष,  नगरपालिका सेंधवा 
 

Created On :   24 Nov 2018 4:20 PM IST

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