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हाथरस कांड: पीड़िता के अंतिम संस्कार पर योगी सरकार ने दी ये दलील, SC ने गवाहों की सुरक्षा पर मांगा हलफनामा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाथरस गैंगरेप मामले को दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में यूपी की योगी सरकार ने हलफनामा दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश देने की मांग की है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से केस के गवाहों की सुरक्षा को लेकर किए इंतजामों और पीड़ितों की सुरक्षा के बारे में हलफनामा मांगा है।
सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, कथित रूप से हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि खुफिया सूचनाएं मिली थीं कि युवती और आरोपी दोनों के समुदायों के लाखों लोग राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ उसके गांव में इकट्ठा होंगे। जिससे कानून-व्यवस्था को लेकर समस्या हो जाती हिंसा भी भड़क सकती थी।
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देने का भी आग्रह किया। दावा किया कि, निहित स्वार्थ वाले लोग निष्पक्ष जांच को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य ने इस बात पर भी जोर दिया कि, इस मामले में कुछ निहित स्वार्थो द्वारा नियोजित जातिगत विभाजन से उत्पन्न संभावित हिंसक स्थिति को छोड़कर, दाह संस्कार जल्दी करने के पीछे कोई बुरा इरादा नहीं हो सकता।
#Hathras case: District administration convinced parents of deceased to cremate her at night to avoid large scale violence in the morning, UP govt in affidavit to SC; cites intelligence inputs of possible assembly of lakhs of protesters issue being given caste/communal colour https://t.co/9CshGV3x0p pic.twitter.com/twkJ6yqeyc
— ANI (@ANI) October 6, 2020
अपने हलफनामे में राज्य ने पीड़िता के दाह संस्कार को उचित ठहराया। युवती की मौत 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई थी और 30 सितंबर को देर रात 2.30 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया क्योंकि इस बात की आशंका थी कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो सकते हैं।
यूपी सरकार के हलफनामे में कहा गया कि, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी फैसला सुनाए जाने को लेकर जिले में हाई अलर्ट था। कहा गया कि, हाथरस जिला प्रशासन को 29 सितंबर की सुबह से कई खुफिया जानकारी मिली थी, जिस तरह से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक धरना आयोजित किया गया था और पूरे मामले का फायदा उठाया जा रहा है और इसे एक जातिगत और सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।
योगी सरकार ने कहा कि, ऐसी असाधारण और गंभीर परिस्थितियों में जिला प्रशासन ने सुबह बड़े पैमाने पर हिंसा से बचने के लिए उसके माता-पिता को मनाकर रात में सभी धार्मिक संस्कारों के साथ शव का अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया। पीड़िता का शव उसकी मौत और पोस्टमार्टम के बाद 20 घंटे से अधिक समय तक पड़ा रहा था।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर 29 सितंबर को 19 वर्षीय पीड़िता के शव को दिल्ली के अस्पताल से निकाल लिया और हाथरस के बुलगड़ी गांव ले जाया गया। शोक संतप्त परिवार ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वह अंतिम बार शव को घर ले जाने की अनुमति दें और यहां तक कि शव ले जाने वाली एम्बुलेंस को भी रोकने की कोशिश की। हालांकि, परिवार ने आरोप लगाया, वे अंतिम संस्कार के दौरान अपने घर में बंद थे।
Supreme Court asks Solicitor General Tushar Mehta, appearing for Uttar Pradesh government, to inform it how the witnesses in the #Hathras case, are being protected. Supreme Court adjourns the matter for next week.
— ANI (@ANI) October 6, 2020
सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबड़े ने पीड़ित पक्ष और गवाहों के सुरक्षा को लेकर यूपी सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा हलफनामा कल तक दाखिल कर देंगे। इसके बाद सीजेआई ने कहा, गवाहों की सुरक्षा को लेकर किए इंतजामों और पीड़ितों की सुरक्षा के बारे में हलफनामे में पूरी जानकारी दें।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालतों के बाहर कई तरह की बातें कही जा रही हैं और केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच करके ही इन्हें खत्म किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि पीड़ित परिवार को पहले से ही पुलिस सुरक्षा मिली हुई है। गवाहों की भी सुरक्षा की जा रही है। मेहता ने कहा, तथ्यों की जानकारी के बिना अदालत में तर्क दिए जा रहे हैं।
मामले में शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार को तीन पहलुओं पर एक और हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही सुनवाई को अगले सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया है।
Created On :   6 Oct 2020 11:57 AM IST