बिक्री की अवधि तो हो गई खत्म, अब किसे बेचें धान?

Sale period is over, now to whom to sell paddy?
बिक्री की अवधि तो हो गई खत्म, अब किसे बेचें धान?
गड़चिरोली बिक्री की अवधि तो हो गई खत्म, अब किसे बेचें धान?

डिजिटल डेस्क, कोरची (गड़चिरोली)। सिंचाई सुविधा से वंचित गड़चिरोली जिले के किसानों ने इस वर्ष रबी सत्र के दौरान ईटियाडाेह बांध के पानी के भरोसे अपने खेतों में धान की फसल उगाई। धान उत्पादन भी उम्मीद के मुताबिक हुआ। लेकिन सरकार ने इस वर्ष आदिवासी विकास महामंडल को कोरची तहसील के लिए नाममात्र 6 हजार 50 क्विंटल धान की खरीदी करने का लक्ष्य दिया। खरीदी प्रक्रिया भी 15 जून तक ही चलाने के निर्देश दिए थे। सरकार के इस फैसले के कारण तहसील के 40 फीसदी किसानों ने अब तक अपना धान खरीदी केंद्रों में बेचा नहीं है। रबी का धान बेचकर ही किसान खरीफ सत्र की शुरुआत करते हैं। लेकिन धान बिक्री की अवधि खत्म हो जाने से अब किसान संकट में फंसे नजर आने लगे हैं। उधर किसानों को समय पर फसल कर्ज भी उपलब्ध नहीं हो रहा है, जिससे सरकार की नीति के खिलाफ एक बार फिर किसानों में असंतोष व्यक्त किया जा रहा है। 

आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिला धान उत्पादक के रूप में परिचित है। यहां खरीफ सत्र में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। लेकिन गत वर्ष खरीफ सत्र के अंतिम दौर में हुई अतिवृष्टि के कारण किसानों की लहलहाती फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी थी। इस नुकसान से उबरने के लिए रबी सत्र हेतु किसानों ने ईटियाडोह बांध के पानी की मांग की। सरकार ने मांग मंजूर करते हुए जिले के किसानों के लिए बांध का पानी छोड़ा। इस पानी के भराेसे किसानों ने रबी सत्र में भी बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन लिया। किसानों के धान को समर्थन मूल्य देने के लिए सरकार ने एकाधिकार धान खरीदी योजना आरंभ की है। इस योजना के तहत जिले में आदिवासी विकास महामंडल द्वारा सरकारी धान खरीदी केंद्र आरंभ किए गए। लेकिन इस वर्ष महामंडल द्वारा कोरची तहसील में केवल 6 हजार 50 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया। साथ ही 15 जून तक की खरीदी केंद्र शुरू रखने के निर्देश दिए थे। किसानों द्वारा लगातार की गयी मांग के बाद खरीदी की अवधि बढ़ाने का आश्वासन सरकार द्वारा दिया गया था। लेकिन सात दिनों की अवधि खत्म होने के बाद भी अब तक खरीदी प्रक्रिया की अवधि  बढ़ायी नहीं गयी है, 

जिससे तहसील के किसान चिंता में फंस गये हैं। वर्तमान में हो रही हल्की बारिश के भरोसे किसानों ने खरीफ सत्र का कार्य आरंभ कर दिया है। तहसील के 40 फीसदी किसानों का धान अब तक सरकारी केंद्रों में बिक्री नहीं होने से संबंधित किसान खरीफ के लिए परेशानी में आ गये हंै। उधर फसल कर्ज के लिए भी किसानों को बैंकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक सरकार ने इस वर्ष जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक को 8 हजार 595 किसानों को 16 करोड़ 58 लाख रुपए कर्ज वितरण का लक्ष्य दिया था। 

लेकिन खरीफ सत्र शुरू हाेने के बाद भी किसानों को महज 22 लाख 77 हजार रुपए का कर्ज मिल पाया है। कर्ज लेने के लिए भी किसानों को जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अब तक मूसलाधार बारिश भी नहीं होने से किसानों की आंखें नम होने लगी हंै। किसानों को इस संकट से बचाने के लिए धान खरीदी प्रक्रिया की अवधि को बढ़ाने और किसानों काे समय पर फसल कर्ज उपलब्ध करवाने की मांग किसान परिषद के अध्यक्ष नंदकिशोर वैरागडे ने की है। 

 

Created On :   23 Jun 2022 4:20 PM IST

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