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अंतररराज्यीय गौ तस्करों का अड्डा बन रही साकोली तहसील
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रमेश दुरुगकर (साकोली) , भंडारा। दूसरे राज्यों से गोवंशों की खरीदी कर नागपुर व कामठी के बूचड़खाने में भेजने से पहले साकोली तहसील के खुफिया स्थानों पर मवेशी को रखा जाता है। तहसील का ग्रामीण परिसर गोतस्करों का अड्डा बनता जा रहा है। अभी देश व राज्य में लंपी की दहशत है। इस बीच गोतस्करों की यह हरकत जिले के पशुपालकों को संकट में डाल सकती है। विशेष रूप से इस धंधे में कुछ बिचोले तस्करों व पुलिस के बीच आर्थिक व्यवहार करा रहे है। इससे पशुओं को कत्तलखाने भेजने का सिलसिला दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह सब जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से छुपकर हो रहा है।
भंडारा व गोंदिया जिले को छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश की सीमा लगी हुई है। इन राज्यों से होने वाली गोवंश तस्करी का साकोली तहसील केंद्र बना है। प्रति दिन 20 से 25 बड़े ट्रक व 30 से 40 छोटे पिकअप वाहनों से राष्ट्रीय महामार्ग व ग्रामीण परिसर से गोवंशों को कत्तलखाना भेजा जाता है। पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए ग्रामीण परिसर के कुछ अड्डों पर मवेशी को क्रूरता से साथ चारे पानी के बिना रखा जाता है। मौका मिलते ही पर अन्य राज्यों से लाए गए इन मवेशियों को नागपुर व कामठी के कत्तलखाने भेजा जाता है। दिनभर में मवेशियों से लदे अनेक वाहन कई पुलिस थानों को पार कर गुजरते हैं। इसके लिए पुलिस के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों की बिचोलियों के माध्यम से गौ तस्करों के साथ सांठगाठ होने की चर्चा है।
नवनियुक्त जिला पुलिस अधीक्षक लोहित मतानी ने जिले में अवैध व्यवसायियों पर कार्रवाई तेज कर दी है। जिले के कुछ थानों के तहत वाहनों पर कार्रवाई जारी है। फिर भी गोवंश तस्कर ग्रामीण परिसर से या छुपे मार्ग से गौवंश को कत्तलखाने तक ले जाने में कामयाब हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ से आने वाले गोवंश देवरी, कोहमारा, साकोली, लाखनी, भंडारा, जवाहरनगर, राष्ट्रीय महामार्ग से होते हुए नागपुर भेजे जा रहे हैं। कार्रवाई के पश्चात तस्करों को गिरफ्तारी के पूर्व जमानत कैसे दी जाएगी इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। इस लिए बड़े तस्कर न्यायालयीन प्रक्रिया से छूट रहे हैं। गोवंश के अवैध व क्रूर तरीके से वहन को लेकर राजू माखन, इरफान, साफिक पठाण, लखन, बंटी शुल्का, रोशन सेलोकर, बालु दुरूगकर,
Created On :   24 Sept 2022 5:18 PM IST