शराब, ताडी का धंधा छोड ग्रामीण महिलाएं कर रही खुशहाली का रोजगार

Rural women leaving the business of liquor, toddy and doing prosperity employment
शराब, ताडी का धंधा छोड ग्रामीण महिलाएं कर रही खुशहाली का रोजगार
बिहार शराब, ताडी का धंधा छोड ग्रामीण महिलाएं कर रही खुशहाली का रोजगार

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के गोपालगंज जिले के विक्रमपुर गांव की रहने वाली नगिया देवी के पति शराब का अवैध व्यापार करते थे, जिससे उनकी जिदंगी की गाडी चलती थी। इसी बीच नगिया देवी के पति की मौत हो गई और राज्य में शराबबंदी भी लागू हो गईं। पांच बेटियों की मां नगिया देवी के सामने सडक पर आने के अलावे कोई रास्ता नहीं बचा था। लेकिन, उन्होंने हिममत नहीं हारी और शराब का धंधा छोड कर जीविकोपार्जन योजना से ऋण लेकर एक दुकान खोल ली। इसके बाद इनकी जीवन बदल गई।

विविध सामानों के छोटे से दूकानों की मालकिन नगिया आज आंटा चक्की की मालकिन हैं तथा भैंस और गाय पालन भी कर रही हैं। नगिया कहती हैं कि साहब, पहले की जिंदगी कोई जिदंगी थी। पैसे भले थे, लेकिन न सामााजिक प्रतिष्ठा थी और नहीं बच्चों का भविष्य था। एक अनुमान के मुताबिक नगिया आज चार लाख रुपये से ज्यादा की मालकिन है।

बिहार में यह कहानी सिर्फ नगिया देवी की नहीं है, बल्कि यह कहानी कई महिलाओं की है, जो पहले अवैध शराब और ताड़ी के धंघों से खूब कमाती थी, लेकिन घर में कलह होता था और सामाजिक प्रतिष्ठा भी नहीं थी। बाल, बच्चों की संगति भी गलत लोगों के साथ हो जाया करती थी। आज ऐसी सैकडों महिलाएं हैं, जो अवैध शराब और ताड़ी (एक प्रकार का नशीला पेय पदार्थ ) का धंधा छोडकर खुशहाली की जिंदगी जी ही है।

गोपालगंज में ऐसी 595 तथा पूर्णिया जिले में ऐसी 886 महिलाएं हैं, जो शराबबंदी के बाद शराब और ताड़ी का धंधा छोडकर अन्य रोजगार कर रही हैं। आज ऐसी महिलाएं सतत जीविकोपार्जन योजना से वित्तीय सहायता लेकर किराना की दुकान कर रही हैं, तो कई श्रृंगार प्रसाधन और अंडे व फल की दुकान खालेकर जिंदगी की गाड़ी खींच रही है। गोपालगंज जिला सतत जीविकोपार्जन के नोडल अधिकारी अजय राव कहते हैं, शराबबंदी के बाद इस धंधे से जुडी महिलाओं के चेहरे पर आज खुशी है। जिले में कुल 2317 परिवारों को इस योजना के तहत ऋण दिया गया है। इसमें कई महिलाओं को अलग-अलग चरण में 37 हजार तो कई महिलाओं को 33 हजार रुपये का ऋण दिया गया है।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इनमें 89 ऐसी महिलाएं हैं जो शराब का धंधा छोडकर तथा 509 महिलाएं ताड़ी का धंधा छोडकर इस योजना से ऋण लेकर गांव की मांग और जरूरत के हिसाब से दूसरे रोजगार को अपनाया है। पूर्णिया जिले में भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो आज शराब, ताड़ी के धंधे को छोडकर खुशहाली की जिंदगी जी रही हैं।

पूर्णिया के धमदाहा प्रखंड के एक गांव की रहने वाली एक महिला अपना दर्द बयान करते हुए कहती हैं कि घर में जब वे शराब का धंधा करती थी तो पीने आने वाले लोग न केवल हमसे बल्कि बहू, बेटियों से भी छेड़खानी किया करते थे। हम दोनों पति पत्नी चाहकर भी विरोध नहीं कर पाते थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है।

पूर्णिया के धमदाहा प्रखंड के अंडी टोला की रहने वाली संगीता देवी कहती हैं कि पहले शराब के धंधे से जुड़ी थी और अच्छा मुनाफा हो रहा था। लेकिन राज्य में शराबबंदी के बाद परिवारों के सामने खाने पीने के भी लाले पड गए। इसके बाद सतत जाविकोपार्जन योजना के तहत ऋण लेकर मनिहारी दुकान खोली और आज प्रति महीने साढे हजार रुपये कमा रही हूं।

पूर्णिया के एक अधिकारी बताते हैं कि जिले में 143 महिलाएं शराब के धंधे को तथा 743 महिलाएं ताडी को धंधे से तौबा कर चुकी हैं। बहरहाल, बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर उसके कार्यान्वयन को लेकर भले ही विरोध के स्वर विरोधियों द्वारा उठते रहे हों, लेकिन कोई भी दल आज तक शराबबंदी कानून के विरोध में खुलकर नहीं बोल रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि इन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए सच में शराबबंदी कानून खुशहाली की जिंदगी दे गया है।

(आईएएनएस)

Created On :   9 Jan 2022 7:00 AM GMT

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