स्थानीय उत्पादों को पहचान-होनहारों को रोजगार देगा रूरल टूरिज्म

Rural tourism will give employment to promising local products
स्थानीय उत्पादों को पहचान-होनहारों को रोजगार देगा रूरल टूरिज्म
उत्तरप्रदेश स्थानीय उत्पादों को पहचान-होनहारों को रोजगार देगा रूरल टूरिज्म
हाईलाइट
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार इस बाबत काम किया जा रहा है।

डिजिटल डेस्क, गोरखपुर। पर्यटन को परवान चढ़ाने के लिए यूपी सरकार नित नए उपाय अपना रही है। अब रूरल टूरिज्म के जरिये इसे और पुष्ट करने की तैयारी है। इसके लिए प्रयास शुरू हो चुके हैं। योजनाओं पर अमल करने की तैयारियां चलने लगी है। गांव के युवक और महिला मंगल दल के कार्यकर्ता इस मुहिम को अंजाम देंगे। ग्रामीण पर्यटन से जुड़े युवा-युवती न सिर्फ रोजगार पाएंगे बल्कि एक जिला, एक उत्पाद को बढ़ावा भी देंगे। यानी रूरल पर्यटन के बहाने रोजगार और स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने की भी तैयारी है।

गोरखपुर से सटे गुलरिहा बाजार के पास एक गांव है, औरंगाबाद। इस गांव की पहचान टेरोकोटा (मिट्टी से बने हाथी-घोड़े एवं अन्य सामान) है। वही टेरोकोटा जो गोरखपुर का ओडीओपी (एक जिला,एक उत्पाद) है। यूपी के सभी जिलों में ऐसे कुछ गांव हैं, जिनकी पहचान किसी ऐसी ही खूबी की वजह से है। इस पहचान की वजह संबंधित गांव के किसी खास उत्पाद, कला या हुनर हो सकता है। इनमें से औरंगाबाद जैसे गावों के हुनर के कद्रदान देश-विदेश में हैं।

संबधित जिले में जब भी बाहर से कोई खास व्यक्ति आता है तो वह उस पहचान को अपने साथ ले जाता है। यह गिफ्ट के रूप में हो सकता है या किसी दुकान से खरीद के रूप में। कुछ चुनिंदा लोग तो उन उत्पादों की रेंज देखने और पसंद के अनुसार उनकी खरीद करने समय निकालकर उस गांव तक जाते हैं। सरकार का मानना है कि विलेज टूरिज्म के दायरे में लाकर इन गावों को पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। एग्री टूरिज्म के जरिए इसके दायरे को और विस्तार दिया जा सकता है। इसके लिए संबंधित गांव में पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा के मद्देनजर कुछ बुनियादी सुविधाएं विकसित करनी होंगी। इसके एक साथ कई लाभ होंगे।

मसलन स्थानीय उत्पादों को देश-दुनिया का एक बड़ा बाजार मिलेगा। उनके उत्पाद की मांग बढ़ेगी। उनके वाजिब दाम मिलेंगे। साथ ही ब्रांड यूपी को और मजबूती मिलेगी। इसके अलावा कुछ स्थानीय लोगों को हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा। अलग-अलग जगहों से आए लोग एक दूसरे की संस्कृति से भी वाकिफ होंगे। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दौरान 2018 में आयी टूरिज्म पॉलिसी में विलेज और एग्री टूरिज्म का खास तौर से जिक्र किया गया था।

योगी-2.0 में पर्यटन के लिहाज से बेहद संभावनाओं वाले इस नए क्षेत्र को विस्तार देने का काम शुरू कर दिया गया है। इको एन्ड रूरल टूरिज्म बोर्ड का गठन, 75 गावों का पर्यटन के लिए चिन्हित किए जाने का प्रस्ताव इसी की कड़ी है। विलेज एवं रूरल टूरिज्म के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के साथ कुछ ऐसे प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होगी जो जरूरत के अनुसार इन पर्यटकों की मदद कर सकें। एक तरह से इनकी भूमिका पर्यटन मित्र की होगी। इसके लिए सरकार युवक मंगल दल और महिला मंगल दल से जुड़े युवाओं एवं युवतियों को भी पर्यटन मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में करीब 78 हजार युवक मंगल दल पंजीकृत हैं। इसमें से करीब 42 हजार युवक मंगल दल और 36 हजार महिला मंगल दल हैं। ये दल फिट इंडिया, नमामि गंगे, पौधरोपण, रक्तदान शिविर और वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार विभाग इनको पर्यटन मित्र के रूप में प्रशिक्षित करेगा।

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम का कहना है कि उत्तर प्रदेश और गावों की खुशहाली एक दूसरे के पूरक हैं। इनमें से कई गांव ऐसे हैं जिनकी किसी खास उत्पाद या हुनर के नाते अपनी पहचान है। ऐसे गावों में रूरल, विलेज एवं एग्री टूरिज्म की भारी संभावना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार इस बाबत काम किया जा रहा है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   2 May 2022 5:00 AM GMT

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