रिश्तेदार दूर रहते हैं फिर भी उनके खिलाफ दर्ज हो सकता है दहेज उत्पीड़न का मामला

Relatives stay away, yet dowry harassment case can be filed against them
रिश्तेदार दूर रहते हैं फिर भी उनके खिलाफ दर्ज हो सकता है दहेज उत्पीड़न का मामला
 हाईकोर्ट ने खारिज की पति की याचिका  रिश्तेदार दूर रहते हैं फिर भी उनके खिलाफ दर्ज हो सकता है दहेज उत्पीड़न का मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि यदि रिश्तेदार एक ही घर अथवा आसपास में नहीं रहते है तो उनके धारा 498ए (दहेज के लिए महिला के प्रति क्रूरता बरतना) नहीं लगाया जा सकेगा। बांबे हाईकोर्ट ने महिला के पति, सास-ससूर, देवर-देवरानी व ननद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498,406 व 34 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है। महिला के देवर-देवरानी व ननद ने दावा किया था कि वे महिला के साथ नहीं बल्कि दुबई में रहते हैं लिहाजा उनके खिलाफ 498ए के तहत मामला नहीं बनता है।

जबकि महिला ने शिकायत में दावा किया था कि देवर-देवरानी फोन के जरिए उसके पति को उसके खिलाफ भड़काते थे। वहीं महिला के पति ने याचिका में दावा किया था कि उसका महिला के साथ तलाक हो चुका है। महिला ने अनावश्यक रुप से पूरे परिवार को इस मामले में फंसाया है। पति के मुताबिक उसके परिवार के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। क्रूरता को लेकर लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं। इन आरोपों से किसी अपराध का खुलासा नहीं होता है। लिहाजा मामले को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया जाए। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि कानून में पूरी तरह से ऐसी कोई स्थिति नहीं दर्शायी गई है जो यह साफ करती हो कि यदि पति के रिश्तेदार एक ही घर में व निकट नहीं रहते हैं तो धारा 498ए (दहेज उत्पीड़न) को लागू नहीं किया जा सकेगा। मामले से जुड़े तथ्यों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि इस मामले में 498ए के अपराध के घटक नहीं हैं। एफआईआर इनसाईक्लोपीडिया नहीं खंडपीठ ने कहा कि एफआईआर रद्द करते समय मुख्य रुप से यह देखा जाता है कि एफआईआर अपराध का खुलासा करती है कि नहीं।

वैसे एफआईआर कोई इनसाईक्लोपीडिया नहीं होती है जिसमें सब कुछ हो। खंडपीठ ने कहा नियमित तरीके से 498ए की एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है। सिर्फ अपवादजनक परिस्थिति में ही एफआईआर को रद्द करने का प्रावधान है। हमे मौजूदा मामला अपवादजनक नहीं लगता है। इसके अलावा यदि आरोपियों को लगता है कि उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं तो वे खुद को मामले से मुक्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस तरह खंडपीठ ने आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया

Created On :   23 July 2022 1:57 PM GMT

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