स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी ने कहा-सारे कागजात बनावटी  

स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी ने कहा-सारे कागजात बनावटी  
रिजेक्ट कर दिया क्लेम स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी ने कहा-सारे कागजात बनावटी  

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बीमा कंपनियां पॉलिसी देते समय बीमाधारकों को झांसे में ले लेती हैं। पहले बीमाधारकों के लिए कंपनी के सभी नॉर्म्स लागू होते हैं, लेकिन जब क्लेम देने की बारी आती है, तो बहाना बनाकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है। बीमाधारकों को प्रीमियम भरने के बाद भी क्लेम नहीं मिल रहा है। ऐसा ही एक मामला तुषार मालोदे के साथ हुआ है, जिन्होंने अक्टूबर 2020 मे स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ली थी। जब बीमाधारक ने क्लेम के लिए एप्रोच किया तो कंपनी ने यह कहकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि बेटी को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत नहीं थी। साथ ही बीमाधारक पर बनावटी कागजात बनाने का भी आरोप लगाया है। 

पहले कहा, बिल-रिएम्बर्समेंट हो जाएगा, अभी तक नहीं मिला
तुषार मालोदे ने बताया कि उनके परिचित नितीन झाडे ने स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी कराने की बात की। उन्होंने बताया कि मैनेजर प्रशांत रठ्ठे और सूरज शर्मा पॉलिसी करवाने में मदद करेंगे। मैंने हामी भर दी। सूरज शर्मा ने कहा कि स्टार हेल्थ की  पॉलिसी बहुत बढ़िया है। पेशेंट जिस हॉस्पिटल में भर्ती होगा, उसके 20 दिन बाद बिल रिएम्बर्समेंट हो जाएगा। हमने प्रशांत रठ्ठे के मार्गदर्शन में पूरा काम किया। हमने स्टार हेल्थ की पॉलिसी अक्टूबर 2020 में ली, जिसका पॉलिसी नंबर पी/151120/01/2021/008636 है। मैंने मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी, जिसमें मेरी पत्नी, बेटा और खुद मैं था। फिर मेरी बेटी का जन्म 19 जुलाई 2021 को हुआ। मैंने बच्ची को पॉलिसी में एड करने के लिए नितीन झाडे और सूरज शर्मा को कहा। उन्होंने बताया कि पहले 30 दिन के बाद नई बच्चे को पॉलिसी को एड करने का नियम था, लेकिन अब नियम बदलकर 90 दिन का हो गया है। उसके बाद नियमानुसार बच्ची को पॉलिसी में एड करवाया।

खुद अस्पताल आकर देखा भी था 
बच्ची तेजल की तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण उसे  12 जनवरी 2022 को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। इसके बाद 15 जनवरी को उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज दिया गया। डिस्चार्ज होने के बाद उसी दिन हॉस्पिटल के पेपर्स के साथ अन्य पेपर्स नितीन झाडे के मार्फत मैनेजर प्रशांत रठ्ठे को पहंुचाए गए। तेजल जब एडमिट थी, तब नितीन झाडे ने हॉस्पिटल आकर उसकी परिस्थिति भी देखी व मेरी आर्थिक स्थिति को देखते हुए 15 हजार रुपए की मदद भी की। मैंने बीमा का क्लेम मिलते ही पैसे वापस देने की बात की। नितीन झाडे ने कहा कि तेजल की तबीयत के बारे में स्टार हेल्थ के सूरज शर्मा और प्रशांत रठ्ठे को भी जानकारी दी थी। सूरज शर्मा ने कहा था कि टेंशन मत लीजिए 20 से 25 दिन में बिल की रकम वापस मिल जाएगी। हॉस्पिटल का बिल 16490 रुपए था।  इतने दिन गुजर जाने के बाद भी कंपनी वाले क्लेम नहीं दे रहे हैं। 

उम्मीद करना ही बेमानी
कंपनी कहना है कि तेजल को हॉस्पिटल में एडमिट करवाने की जरूरत नहीं थी। फिर कहा कि तेजल को जिस अस्पताल में नहीं, बल्कि डे, केयर में रखा गया था। साथ ही यह भी कहा कि सारे कागजात बनावटी हैं। जबकि तेजल जिस हॉस्पिटल में एडमिट थी, वहां के डॉक्टर से भी बात करवाई। कंपनी ने 14 मई 2022 को विभिन्न कारण बताकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया। जब कंपनी क्लेम का इतना छोटा सा अमांउट देने में आनाकानी कर रही तो बड़ी बीमारी में क्या उम्मीद की जा सकती है।

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इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है, तो आप  दैनिक भास्कर नागपुर के मोबाइल नंबर  9422165556  पर बात करके प्रमाण सहित अपनी समस्या रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में आपकी आवाज को भास्कर द्वारा खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। 
 

Created On :   9 Jun 2022 10:10 AM IST

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