छत्तीसगढ़ के राहुल का बोरवेल से जीवित निकलना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं

Rahuls survival from the borewell of Chhattisgarh is no less than a film story
छत्तीसगढ़ के राहुल का बोरवेल से जीवित निकलना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ के राहुल का बोरवेल से जीवित निकलना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं
हाईलाइट
  • एक सुखद संदेश और संकेत

डिजिटल डेस्क, रायपुर। बोरवेल में 65 फुट की गहराई पर 105 घंटे से ज्यादा वक्त तक 11 साल के बच्चे का फंसा रहना, आसपास सांप जैसे जहरीले जंतुओं की मौजूदगी और बढ़ता पानी का जलस्तर। इन सब विपरीत हालातों के बावजूद बच्चे का सुरक्षित और जीवित बाहर आना किसी चमत्कार से कम नहीं है और यह वाकई में फिल्मी कहानी भी लगती है।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के पिहरीद के रहने वाले लाला राम साहू का 11 साल का बेटा राहुल खेलते हुए शुक्रवार को बोरवेल के गडढे में जा समाया आया था। राहुल के बोरवेल के गडढे में गिरने के बाद वक्त के गुजरने के साथ लोगों के मन मस्तिष्क में शंकाएं हिलोरे मार रही थी, मगर राहत और बचाव कार्य में लगे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ सेना के जवान किसी भी हाल में हार मानने को तैयार नहीं थे।

जिला प्रशासन से लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए आधुनिकतम तकनीकों का सहारा लेने में भी हिचक नहीं दिखाई, गुजरात से रोबोट तकनीकी विशेषज्ञ को भी बुलाया गया और उनकी मदद ली गई। एक तरफ जहां राहत और बचाव कार्य तेज गति से चलता रहा तो दूसरी ओर राहुल की हर हरकत पर सीसीटीवी कैमरे के जरिए नजर रखी गई, उसे ऑक्सीजन समय पर मिलती रहे इसके पुख्ता इंतजाम किए गए तो वही राहुल को पीने के लिए कोल्ड्रिंक भेजा गया तो वही खाने के लिए किला आदि भेजा जाता था।

राहुल भले ही मानसिक तौर पर कुछ कमजोर है मगर उसने भी इस अभियान में पूरा सहयोग किया, जब गडढे में जल स्तर बढ़ने लगा तो राहत अभियान में लगे दल की चिंताएं बढ़ी, इस दौरान राहुल भी अभियान का हिस्सा बन गया। जब नीचे बर्तन भेजा गया तो राहुल ने खुद उसमें पानी भरा, यहीं से सभी को एक सुखद संदेश और संकेत मिलने लगे थे।

राहत और बचाव कार्य में लगे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान के साथ जिला प्रशासन का अमला बोरवेल के समानांतर एक गडढे खोदने का अभियान चलाए हुए था। इस काम में जेसीबी और पोकलेन मशीनें लगी रही। दिन-रात की मेहनत के बाद बोरवेल की गहराई तक बड़ा गडढा और सुरंग बनाने में सफलता मिली, मगर इस दौरान बाधाएं भी कम नहीं आई। राहत बचाव दल और राहुल के बीच में चट्टान दीवार बनकर खड़ी हो गई इसे काटना आसान काम नहीं था क्योंकि अगर थोड़ी सी भी चूक होती तो राहुल को बड़ा नुकसान हो सकता था। राहुल को कोई नुकसान न हो और चटटान को आसानी से काट लिया जाए इसके लिए अभियान में लगे विशेषज्ञों ने चट्टान कटाई के लिए कई मशीनों का इस्तेमाल किया। इसी दौरान बोरवेल में पानी का स्तर बढ़ने की खबरों ने सबकी चिंताएं बढ़ा दी। बोरवेल के अंदर बढ़ते जलस्तर को रोकने के लिए आसपास के जल स्रोतों से पानी की निकासी की जाने लगी और कितने हैंडपंप थे उनसे भी पानी निकाला गया ताकि जिस बोरवेल में राहुल है उसका जलस्तर न बढ़े।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पूरे समय राहुल को बचाने के लिए चल रहे अभियान पर पूरी नजर रखे रहे, इस दौरान उन्होंने राहुल के परिजनों से कई बार बातचीत की साथ ही प्रशासनिक अमले को आवश्यक निर्देश भी देते रहे।

राहुल केा बचाने के लिए चले 105 घंटे से ज्यादा के अभियान में कई बार ऐसे मौके आए जब लोगों केा लगने लगा था कि राहुल उनके बीच आएगा भी या नहीं। राहत और बचाव कार्य जारी था तो दूसरी ओर आराधना में भी लेाग लगे थे। जांजगीर-चांपा के प्रशासन के साथ राज्य सरकार और राहत व बचाव कार्य में लगे लेागों के बीच गजब का सामन्जस्य भी देखने को मिला।

राहुल केा ग्रीन कॉरीडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका उपचार चल रहा है। मुख्यमंत्री बघेल ने ट्वीट कर बताया है, जांजगीर के बहादुर राहुल साहू सोकर उठ गए है, उन्होंने नाश्ता भी कर लिया है, उन्हें हल्का बुखार है बाकी ठीक है।

 

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   15 Jun 2022 1:31 PM IST

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