अब 65 साल में सेवानिवृत्त होंगे अनुदान प्राप्त कॉलेज के प्राध्यापक

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
 अब 65 साल में सेवानिवृत्त होंगे अनुदान प्राप्त कॉलेज के प्राध्यापक

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एमआर शाह की युगल पीठ ने अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाईकोर्ट के तीन सदस्यीय पीठ के उस फैसले को निरस्त कर दिया है कि जिसके जरिए अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष करने का आदेश दिया गया था।

यूजीसी ने रेगुलेशन बनाकर दिया था आदेश
अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की ओर से प्रोफेसर आरएस सोहाने, डॉ. ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी एवं अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 1998 में सरकारी कॉलेजों के सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी। इसका लाभ अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों को भी दिया गया। राज्य सरकार ने 2 मई 2011 को पुन: सरकारी कॉलेजों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई, लेकिन इसका लाभ अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों को नहीं दिया गया। 2010 में यूजीसी ने रेगुलेशन बनाकर कॉलेजों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष तय कर दी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की गई। एकल पीठ ने याचिका खारिज कर दी। एकल पीठ के निर्णय को युगल पीठ में चुनौती दी गई। युगल पीठ ने याचिका में निहित संवैधानिक प्रश्न के निराकरण के लिए तीन सदस्यीय पीठ को भेज दिया। तीन सदसीय पीठ ने 8 मई 2017 को अपने फैसले में कहा कि कॉलेज कोड-28 में संशोधन नहीं हुआ है। स्टैंडिग कमेटी ने प्रस्ताव कोआर्डिनेशन कमेटी को भेजा था। यूजीसी के नियमों को मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं है। इस तरह अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष मानी गई।

कॉलेज कोड 28 में संशोधन हुआ
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता लक्षमीकांत पटने ने तर्क दिया कि 7 जनवरी 2004 को कॉलेज कोड 28 में संशोधन हुआ था। इस संशोधन के जरिए अनुदान प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष हो गई थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। सुपीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि अनुदान प्राप्त अशसकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों को 65 में सेवानिवृत्त किया जाएगा। इसके अनुसार ही उन्हें सभी लाभ दिए जाएंगे।
 

Created On :   9 May 2019 1:23 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story