तेजी से घट रहा गन्ना का उत्पादन क्षेत्र, किसान दूसरी फसलों का लेने लगे उत्पादन

Production of sugarcane falling, farmers take second crop production
 तेजी से घट रहा गन्ना का उत्पादन क्षेत्र, किसान दूसरी फसलों का लेने लगे उत्पादन
 तेजी से घट रहा गन्ना का उत्पादन क्षेत्र, किसान दूसरी फसलों का लेने लगे उत्पादन

डिजिटल डेस्क, भंडारा। जिले में पांच वर्ष पूर्व धान उत्पादक किसान गन्ना फसल में दिलचस्पी दिखाने लगे थे। परंतु हाल ही में कुछ वर्षों से शक्कर कारखानों द्वारा उदासीनता दिखायी जा रही है। वन्यजीवों के उत्पात से प्रति वर्ष गन्ने की कई एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है।  जिसके कारण किसान दोबारा धान फसल व अन्य पारंपरिक फसलों की ओर लौट रहे हैं।

भंडारा जिले के धान उत्पादक किसानों को अन्य नकद फसलों का उत्पादन लेकर अपनी उन्नति किए जाने की सलाह खेती संशोधन व विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है। जिले में खरीफ का सामान्य क्षेत्र दो लाख हेक्टेयर के करीब होकर केवल धान फसल का क्षेत्र एक लाख 70  हजार हेक्टेयर के करीब है। जिले में शुगर कारखानों की स्थापना होने के उपरांत किसानों की दिलचस्पी गन्ना फसल उत्पादन मेें बढ़ गई थी। शुगर कारखाना स्थापित किए जाने की लिए कुछ हलचल हुई परंतु कारखाना स्थापति नहीं हो सका। जिसके उपरांत लाखांदुर तहसील में शुगर कारखाने की स्थापना किए जाने के उपरांत गन्ना उत्पादन क्षेत्र में धीमे धीमे बढ़ोतरी होती गई।

गत पांच वर्ष पूर्व जिले के किसानों ने 20 हजार हेक्टेयर के करीब गन्ना फसल का उत्पादन लिया था। जिसमें शक्कर कारखानों के अतिरिक्त स्थानीय गुड़ निर्माण करने वाले व्यवसायियों को गन्ने की आपूर्ति की जाती थी। परंतु परिसर के किसानों को कारखानों की ओर से अपेक्षित प्रोत्साहन कभी भी नहीं दिया गया। लाखांदुर का कारखाना बंद कर दिया गया। जिसके कारण किसानों को कारखाना में गन्ना आपूर्ति करने के लिए परिवहन का खर्च बड़े पैमाने पर बढ़ गया। प्रति वर्ष कम होते दाम व अनियमितता का परिणाम किसानों की आर्थिक स्थिति पर दिखाई देने लगा। साथ ही मानसून का साथ न मिलने पर सिंंचाई का खर्च भी किसानों को वहन करना पड़ा। 

मार्गदर्शन का अभाव 
गत दो वर्षो से पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं हो रही। पवनी व भंडारा तहसील के कुछ परिसर में किसानों ने कपास की बुआई की। जिसके कारण मिर्ची फलबाग का क्षेत्र घट गया। गन्ना क्षेत्र में विगत पांच वर्ष से घटता हुआ दिखाई दे रहा है। परंतु इस संदर्भ में अध्ययन कर मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं है।कृषि विशेषज्ञ भी फैशन के अनुसार जैविक खेती, नैसर्गिक खेती जैसे शब्दों का उपयोग कर चलते बनते है ।  किसानों को बारिश व बाजार में किस उत्पादन की बिक्री होगी अनुमान लगाकर ही खेती करनी पड़ती है। 

गन्ना फसलों में वन्यजीवों का अधिवास 
गन्ना फसल क्षेत्र के कारण वन्यजीवों का अधिवास खेतों में बढ़ गया है। हिरण, जंगली सुअर, नीलगाय का झुंड हरे चारे की तलाश में सुरक्षित जगह के रूप में गन्ना फसल  में डेरा डालते हैं। भालू, खरगोश, बंदर भी उत्पात मचाते रहते हैं। शिकार की तलाश में तेंदुआ व लोमडी भी गन्ना फसलों  तक पहुंच जाते हैं। जिसके कारण गत कुछ वर्षों में वन्यजीवों द्वारा किसानों पर किए गए हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। वन्यजीवों के कारण किसान स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। 

Created On :   25 April 2019 3:31 PM IST

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