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चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव और डीएमई ने हाईकोर्ट में पेश होकर मांगी माफी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट में मेडिकल पीजी कोर्स की एनआरआई कोटे की काउंसलिंग रोकने के लिए चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला और डीएमई डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने बिना शर्त माफी मांगी। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने 30 अप्रैल के आदेश की गलत व्याख्या कर काउंसलिंग रोकने पर को दोनों अधिकारियों को तलब किया था। युगल पीठ ने दोनों अधिकारियों को माफ करते हुए व एनआरआई कोटे की काउंसलिंग जारी रखने के साथ नियमानुसार सीटों का कोटा बदलने का निर्देश दिया है।
दायर याचिका में यह कहा गया
निजी मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन की ओर दायर याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत निजी कॉलेजों में 15 प्रतिशत सीटें एनआरआई के लिए आरक्षित है। राज्य सरकार द्वारा एनआरआई कोटे की सीटों को सामान्य वर्ग में परिवर्तित किया जा रहा है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल को एनआरआई कोटे की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 30 अप्रैल को युगल पीठ ने प्रमुख सचिव और डीएमई से दूसरे राउंड की काउंसलिंग की रिपोर्ट मांगी थी। इसके साथ ही एनआरआई कोटे की सीटों का स्टेटस बरकरार रखने का निर्देश दिया था। इसके बाद एनआरआई कोटे की काउंसलिंग रोक दी गई। काउंसलिंग रोके जाने को गंभीरता से लेते हुए युगल पीठ ने 4 मई को प्रमुख सचिव और डीएमई को पेश होने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से सिद्द्धार्थ राधेलाल गुप्ता, आदित्य संघी, राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता प्रवीण दुबे और एमसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा नायर ने पक्ष रखा।
एनआरआई कोटे की 15 सीटें रिक्त
शनिवार को प्रमुख सचिव और डीएमई ने काउंसलिंग रोकने के लिए िबना शर्त माफी मांगते हुए बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग में एनआरआई कोटे की 41 सीटें थी। जिसमें से 26 सीटों का आवंटित किया जा चुका है। अब एनआरआई कोटे की 15 सीटें बची हुई है। शेष बची 15 सीटें के लिए किसी भी एनआरआई का आवेदन नहीं मिला है। इसलिए शेष 15 सीटों को सामान्य वर्ग में बदलने की अनुमति दी जाए। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने नियमानुसार शेष बची हुई एनआरआई सीटों को सामान्य वर्ग में बदलने की अनुमति दे दी।
Created On :   5 May 2019 4:39 PM IST