कोरोना से मरने वालों की मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान

Pind Daan in Mokshasthali Gaya for the salvation of those who died of Corona
कोरोना से मरने वालों की मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान
बिहार कोरोना से मरने वालों की मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान

डिजिटल डेस्क पटना। सनातन धर्म में मान्यता है कि पितृ ऋण से तभी मुक्ति मिलती है जब पुत्र मृत पिता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध करे। लेकिन, मोक्षस्थली गया जी में एक ऐसा भी परिवार है, जो पिछले करीब 21 सालों से गरीबों, जाने - अंजाने लोगों के लिए पिंडदान करता है। सोमवार को पितृपक्ष में देश, विदेश में कोरोना से मरने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया गया।

पितृपक्ष में अपने पूर्वजों और पितरों को पिंडदान और तर्पण करने के लिए लाखों लोग पिंडदान के लिए बिहार के गया पहुंचते हैं। गया के रहने वाले स्वर्गीय सुरेश नारायण के पुत्र चंदन कुमार सिंह ने सोमवार को गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के नजदीक देवघाट पर पूरे हिन्दू रीति-रिवाज और धार्मिक परम्पराओं के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शहीद जवानों, रूस -यूक्रेन युद्ध में मारे गए हजारों लोगों, आकाशीय बिजली गिरने से मरे लोगों, जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा मारे गए बिहारी मजदूरों की आत्मा की शांति सहित कई जाने-अनजाने सैकड़ों लोगों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया।

चंदन ने बताया कि उनके पिता सुरेश नारायण वर्ष 2001 में गुजरात में जब भूकम्प आया था तब ऐसे बच्चों को देखा था जो कल तक अपने परिजनों के साथ महंगी कारों में घूमते थे, परन्तु वे अचानक सड़कों पर भीख मांग रहे थे। उसी दिन से नारायण के मन में यह विचार आया कि क्यों न इन सैकड़ों लोगों के लिए पिंडदान किया जाए। उसके बाद से इस परिवार के लिए यह कार्य परंपरा बन गई। चंदन बताते हैं कि मेरे पिता ने लगातार 13 वर्षों तक इस परंपरा का निर्वाह किया और उनके परलोक सिधारने के बाद मैं इस कार्य को निभा रहा हूं।

उनका कहना है कि भारत वसुधैव कुटुंबकम् को अपनाकर आगे बढ़ रही है। अगर किसी का बेटा या परिजन होकर पिंडदान करने से किसी की आत्मा को शांति मिल जाती है, तो इससे बड़ा कार्य क्या हो सकता है। चंदन कहते हैं कि इस गया की धरती पर कोई भी व्यक्ति तिल, गुड़ और कुश के साथ पिंडदान कर दे तो उसके पूर्वजों को मुक्ति मिल जाती है। चंदन कहते हैं कि उनके पिता ने अपनी मृत्यु के समय ही कहा था कि वे रहे हैं या न रहें परंतु यह परंपरा चलनी चाहिए। गया के देवघाट पर चंदन ने रामानुज मठ के जगद्गुरु वेंटकेश प्रपणाचार्य के आचार्यत्व के निर्देशन में कर्मकांड संपन्न किया। जगद्गुरु वेंटकेश प्रपणाचार्य ने कहा कि अपना हो या कोई और हो, किसी का नाम लेकर गयाधाम में पिंडदान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति हो जाती है।

(आईएएनएस)

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Created On :   19 Sept 2022 7:30 PM IST

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