भवानीपुर उपचुनाव को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई 1 हफ्ते के लिए टली

PIL on Bhabanipur bypoll: Cal HC adjourns hearing for a week
भवानीपुर उपचुनाव को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई 1 हफ्ते के लिए टली
सोमवार को फिर सुनवाई भवानीपुर उपचुनाव को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई 1 हफ्ते के लिए टली
हाईलाइट
  • भवानीपुर उपचुनाव को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई 1 हफ्ते के लिए टली

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को भवानीपुर उपचुनाव पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी। मामले की अब अगले सोमवार को फिर सुनवाई होगी।

इस बीच कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की खंडपीठ ने सभी पक्षों से हलफनामा दाखिल करने को कहा।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्त ने कहा, चुनाव आयोग के पास चुनाव के मामलों पर अंतिम निर्णय लेने की शक्ति है। चुनाव प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से तब नहीं रोका जा सकता, जब मतदान की तारीख पहले ही घोषित हो चुकी हो। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कई दिशानिर्देश हैं।

दत्ता पर पलटवार करते हुए वादी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, उपचुनाव अब कोई मुद्दा नहीं रहा। अगर भवानीपुर में चुनाव नहीं होगा तो संवैधानिक संकट क्या होगा? उपचुनाव में चुनाव कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों?

भट्टाचार्य के जवाब में जस्टिस बिंदल ने सवाल किया, आपने इतनी देर से केस क्यों दर्ज कराया?

याचिकाकर्ता की ओर से पेश सब्यसाची चटर्जी ने कहा, चुनाव घोषित होते ही हमने मामला दर्ज कराया।

इसके बाद बिंदल ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई सोमवार को फिर की जाएगी। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से हलफनामा दाखिल करने को भी कहा।

कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी, जिसमें मुख्य सचिव के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया गया था, जिसमें चुनाव आयोग से भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने का अनुरोध किया गया था, जहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लड़ने का इरादा रखती हैं।

भवानीपुर में चुनाव की घोषणा को लेकर विवाद तब पैदा हुआ, जब चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में उल्लेख किया कि राज्य सरकार के अनुरोध के कारण भवानीपुर उपचुनाव को एक विशेष मामला माना जा रहा है।

चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी के बयान का हवाला देते हुए कहा, उन्होंने (मुख्य सचिव) ने उद्धृत किया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत, एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि के समाप्त होने पर मंत्री का पद समाप्त हो जाता है और सरकार में शीर्ष कार्यकारी पदों पर एक संवैधानिक संकट आ जाएगा, जब तक कि चुनाव तुरंत नहीं होते। उन्होंने यह भी सूचित किया है कि प्रशासनिक आवश्यकताओं और जनहित को देखते हुए कोलकाता के भवानीपुर में उपचुनाव हो सकता है।

अधिसूचना में कहा गया है, संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों और संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के इनपुट और विचारों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने अन्य 31 विधानसभा क्षेत्रों और 3 संसदीय क्षेत्रों में उपचुनाव नहीं कराने और संवैधानिक आवश्यकता और विशेष अनुरोध पर विचार करने का निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल राज्य में सिर्फ भवानीपुर में उपचुनाव कराने का फैसला किया गया है।

याचिकाकर्ता सायन बंद्योपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में अधिसूचना का विरोध किया और मुख्य सचिव के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या राज्य के नौकरशाही प्रमुख के पास चुनाव आयोग से किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में, जहां से मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने का इरादा रखती हैं, चुनाव कराने का अनुरोध करने का अधिकार है?

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ममता बनर्जी ने केवल एक सीट पर चुनाव कराने के लिए मुख्य सचिव का इस्तेमाल किया।

जनहित याचिका में एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र को अलग कर वहां चुनाव कराने पर भी सवाल उठाया गया है। याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि भवानीपुर के अलावा, चार विधानसभा क्षेत्र हैं - गोसाबा, खरदाह, शांतिपुर और दिनहाटा, जहां सीटें खाली पड़ी हैं। तब क्यों भवानीपुर को एक अपवाद के रूप में माना गया और अगर दक्षिण कोलकाता निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हुआ तो किस तरह का संवैधानिक संकट पैदा होगा।

अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव के मामले को अदालत ने खारिज कर दिया है।

 

आईएएनएस

Created On :   13 Sept 2021 11:30 PM IST

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