अक्सर परिवार की प्रतिष्ठा के बारे में  सोचकर शिकायत में देरी करते हैं लोग  

People often delay the complaint by thinking about the reputation of the family.
अक्सर परिवार की प्रतिष्ठा के बारे में  सोचकर शिकायत में देरी करते हैं लोग  
महिला अत्याचार पर कोर्ट ने कहा अक्सर परिवार की प्रतिष्ठा के बारे में  सोचकर शिकायत में देरी करते हैं लोग  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि महिलाओं के खिलाफ लैंगिक अत्याचारों के मामलों में कई बार लोग पुलिस में शिकायत करने के पूर्व सोच विचार करते हैं, कई बार उन्हें अपने परिवार की इज्जत की फिक्र होती है। इसी कारण से पुलिस में शिकायत करने में देरी होती है। ऐसे में आरोपी को यह लाभ नहीं दिया जा सकता कि घटना और पुलिस शिकायत के बीच समय का काफी अंतर है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने नागपुर सत्र न्यायालय के उस फैसले को कायम रखा है जिसके तहत निचली अदालत ने गोपाल नगर निवासी किशोर मोहर्ले (34) को 11 वर्षीय बालिका के विनयभंग का दोषी करार दिया था। नागपुर सत्र न्यायालय ने युवक को भादवि धारा 354 और पॉक्सो अधिनियम धारा 8 में दोषी करार देकर 3 वर्ष की जेल और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले को  हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

यह था मामला 
शहर के प्रतापनगर पुलिस थाने में दर्ज मामले के अनुसार घटना 27 सितंबर 2019 की है। दोपहर 2 बजे के करीब इस 34 वर्षीय आरोपी ने अपने पड़ोस में रहने वाली 11 वर्षीय बालिका को पेप्सी देने के बहाने से घर बुलाया और उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा। बालिका ने घर लौटकर यह बात परिजनों को बताई, तो 28 सितंबर शाम 5 बजे पुलिस में शिकायत दर्ज की गई। अपने बचाव में आरोपी ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि उसकी और पीड़िता के परिवार के बीच अच्छे संबंध नहीं होने के कारण इस मामले में उसे फंसाया जा रहा है। यही कारण है कि घटना और पुलिस में दर्ज शिकायत में एक दिन से अधिक की देरी की गई। लेकिन हाईकोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ आरोपी की इस दलील को अस्वीकार करते हुए निचली अदालत के फैसले को कायम रखा है। 
 

Created On :   10 Nov 2021 6:48 PM IST

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