चार साल के मृत बच्चे के अंगों ने बचाई 3 लोगों की जान

Organs of a four-year-old dead child saved the lives of 3 people
चार साल के मृत बच्चे के अंगों ने बचाई 3 लोगों की जान
पंजाब चार साल के मृत बच्चे के अंगों ने बचाई 3 लोगों की जान

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पीजीआईएमईआर के डॉक्टरों ने पंजाब के चार साल के एक मृत मस्तिष्क के बच्चे के अंगों को निकाला है, जिसने तीन गंभीर रूप से बीमार रोगियों को नया जीवन दिया है। बरनाला जिले के एक परिवार द्वारा अंगदान के लिए सहमति देने के उदार भाव ने दिल्ली में लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) और गुर्दे व अग्नाशय पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में लीवर प्रत्यारोपण से तीन रोगियों को एक नया जीवन मिला। पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. सुरजीत सिंह ने दाता परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, किसी भी परिवार के लिए यह एक दिल दहला देने वाला नुकसान है, लेकिन मृतक के परिवार ने सबसे दुखद क्षणों में भी अंगदान का प्रस्ताव देकर उदारता दिखाई है।

उन्होंने कहा, हम पीजीआईएमईआर में इस परिवार के बेहद आभारी हैं और तीन गंभीर रूप से बीमार अंग विफलता के रोगियों को जीवन का उपहार साझा करने की परिवार की इच्छा की सराहना करते हैं। अंगदाता के पिता हरदीप सिंह ने कहा, भगवान के तरीके समझ से परे हैं। कौन सोच सकता था कि हमारे प्यारे गुरजोत को अपना पांचवां जन्मदिन भी मनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हम अपने प्यारे बेटे को खोने के शून्य को भर नहीं सकते, लेकिन हम अपनी सांत्वना के लिए उसके अंग दान कर रहे हैं। हमें इस बात का संतोष रहेगा कि गुरजोत का जीवन दूसरों में चलेगा। पीजीआईएमईआर के निदेशक ने कहा, हर प्रत्यारोपण हमारे मरीजों के लिए जीवन की एक नई शुरुआत होता है और इसकी सफलता प्रत्यारोपण में शामिल पूरी टीम के लिए भी एक अविश्वसनीय उपलब्धि होती है।

दाता के पिता ने 2 अप्रैल के उस दर्दनाक दिन को याद करते हुए बताया कि आम तौर पर एक खुशी का दिन कितनी जल्दी एक अप्रत्याशित और क्रूर त्रासदी में बदल गया। किसी भी अन्य सामान्य दिन की तरह, बच्चा खेलने में व्यस्त था और उसी दौरान वह लुढ़क गया। वह ऊंचाई से गिर गया और बेहोश हो गया। उसे पहले बरनाला के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे पीजीआईएमईआर रेफर कर दिया गया। परिवार ने बिना समय गंवाए 2 अप्रैल को बच्चे को पीजीआईएमईआर में भर्ती करा दिया। हालांकि, जीवन के लिए सप्ताह भर का उसका संघर्ष समाप्त हो गया। सिर में चोट के कारण उनकी मौत हो गई और टीएचओए के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 9 अप्रैल को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

पीजीआईएमईआर-सह-नोडल अधिकारी, रोटो (उत्तर) के चिकित्सा अधीक्षक विपिन कौशल ने कहा, नियमों के अनुसार, 12 घंटे के अंतराल के साथ दो पुष्टिकरण परीक्षण किए गए, जिसके बाद परिवार को अंगदान की संभावना के बारे में परामर्श दिया गया। परिवार ने आपस में विचार-विमर्श किया, विकल्प पर विचार किया और अंतत: सहमत हो गए। अंगदान के प्रस्ताव पर मृतक के माता-पिता की सहमति के बाद संबंधित विभागों ने परिवार के उदार निर्णय का सम्मान किया और उन मरीजों से संपर्क किया, जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की जरूरत थी।

जिगर के लिए पीजीआईएमईआर में कोई अंग प्राप्तकर्ता नहीं होने के कारण नोटो (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन) से मिलान प्राप्तकर्ताओं के लिए अन्य प्रत्यारोपण अस्पतालों के विकल्पों का पता लगाने के लिए तुरंत संपर्क किया गया। अंत में, नोटो द्वारा आईएलबीएस में भर्ती एक अंग प्राप्तकर्ता को लीवर आवंटित किया गया और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे दिल्ली से सड़क मार्ग से पीजीआईएमईआर भेजा गया। इसके साथ ही, नेफ्रोलॉजी विभाग ने कई संभावित प्राप्तकर्ताओं की पहचान की। उन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। क्रॉस मैच से किडनी और संयुक्त अग्न्याशय और किडनी के लिए दो प्राप्तकर्ताओं की पहचान हुई और सभी अंगों के प्रत्यारोपण 10 अप्रैल की तड़के तक पूरे कर लिए गए।

(आईएएनएस)

Created On :   12 April 2022 8:01 PM IST

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