गंभीर मामलो को छोड़ अन्य वापस लेने का फरमान

Order to withdraw except in serious cases
गंभीर मामलो को छोड़ अन्य वापस लेने का फरमान
नेताओं के खिलाफ 175 मामले हैं दर्ज गंभीर मामलो को छोड़ अन्य वापस लेने का फरमान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नेताओं के खिलाफ दर्ज बेहद गंभीर स्वरूप और हानि के मामलों को छोड़कर अन्य को वापस लेने का फरमान जारी किया है। पुलिस आयुक्त कार्यालय ने पुराने प्रलंबित मामलों की पड़ताल कर सूची बनाई है। पूरे शहर में अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में करीब 175 मामले सामने आए हैं। इन मामलों की समीक्षा कर जल्द ही न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन के तुरंत बाद कांग्रेस समेत सत्ताधारी दल के नेताओं  ने राज्य भर में दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की थी। नेताओं का मानना था कि पिछले पांच वर्ष में विपक्षी नेताओं पर राजनीतिक द्वेष के चलते जबरन मामले दर्ज किए गए हंै। इन प्रमुख मामलों में भीमा कोरेगांव में 2018 की घटनाओं के निषेध आंदोलन, मुंबई में आरे की जंगल कटाई के विरोध में मोर्चे शामिल हैं।

राज्यमंत्री बच्चू कड़ू सहित कई हस्तियां लिस्ट में
अभियोग संचालनालय की ओर से पुलिस आयुक्त कार्यालय से प्रलंबित राजनीतिक और सामाजिक मामलों की सूची मंगाई गई है। सूची का निरीक्षण कर मामलों को वापस लेने की मांग की जाएगी। दर्ज मामलों में शहर की नामचीन हस्तियाें का शुमार हंै। पूर्व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने 12 सितंबर 2018 को समर्थकों के साथ मोर्चा निकाला था। इसका नई कामठी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामला भी सूची में है। इसके अलावा नई कामठी पुलिस स्टेशन अंतर्गत पूर्व नगराध्यक्ष माया चवरे, राज्यमंत्री बच्चू कड़ू का गिट्‌टीखदान पुलिस स्टेशन, विधायक प्रवीण दटके और विकास कुंभारे का तहसील पुलिस स्टेशन, पूर्व उप महापौर शेखर सावरबांधे का लकड़गंज पुलिस स्टेशन, पूर्व मंत्री अनीस अहमद का गणेशपेठ पुलिस स्टेशन, विधायक विकास ठाकरे का सदर पुलिस स्टेशन, मनसे नेता हेमंत गडकरी, मनपा के परिवहन सभापति बंटी कुकड़े का कोतवाली पुलिस स्टेशन, पूर्व विधायक सुधाकर देशमुख, प्रकाश गजभिये, यशवंत बाजीराव, उमाकांत अग्निहोत्री, सुरेश माने, बंटी शेलके समेत कई अन्य पर मामले दर्ज हैं।

न्यायालय ही लेगा अंतिम निर्णय
राज्य के गृह मंत्रालय से राजनीतिक और सामाजिक मामलों को वापस लेने की अधिसूचना जारी होती है, जिसके आधार पर अभियोग संचालनालय प्रलंबित मामलों की सूची तैयार कर तीन सदस्यों की समिति के समक्ष प्रस्तुत करता है। पुलिस आयुक्त, सहायक संचालक अभियोग संचालनालय और उपायुक्त अपराध शाखा की समिति मामलों की समीक्षा कर संबंधित सरकारी अभियोक्ता से सलाह मांगता है। जीवित हानि, सरकारी अधिकारी से मारपीट, निजी और सरकारी संपत्ति के 5 लाख से अधिक के नुकसान वाले मामलों को छोड़कर अन्य को वापस लिया जा सकता है। तीन स्तर पर मामलों की समीक्षा के बाद वापसी के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। अंतिम निर्णय न्यायालय का होता है।

बड़ी है संख्या
राज्य सरकार की अधिसूचना के आधार पर विभाग में भी जिला स्तर पर मामलों की समीक्षा की जा रही है। भंडारा जिले में 2019 से करीब 37 मामलों की सूची बनाई गई है। गड़चिरोली जिले में तीन वर्षों में केवल एक ही मामला पाया गया है। वर्धा जिले में साल 2019 से अब तक करीब 55 मामलों को सूची में शामिल किया गया है। चंद्रपुर में 23 मामलों के साथ ही गोंदिया में भी मामलों की समीक्षा की जा रही है। हालांकि इन जिलों में किसी भी सांसद अथवा विधायक पर प्रलंबित मामले होने की जानकारी अब तक अभियोग संचालनालय को नहीं मिली है।

समीक्षा प्रक्रिया अभी भी जारी
प्रलंबित राजनीतिक और सामाजिक मामलों को कई अनिवार्य शर्तों के साथ ही वापस लिया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में तीन स्तर पर मामलों की गंभीरता, सरकारी कर्मचारियों अथवा नागरिकों को चोट के साथ ही नुकसान की समीक्षा की जाती है। इसके बाद न्यायालय की अनुमति से मामलों को वापस ले सकते हैं। फिलहाल 175 पुराने मामलों को लेकर समीक्षा प्रक्रिया की जा रही है।
-सरिता ताराम, उपसंचालक, अभियोग संचालनालय, नागपुर

सात साल मेें तीन बार अधिसूचना
अक्सर राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों की ओर से किसी समस्या अथवा मांग को लेकर मोर्चे, घेराव, हड़ताल और बंद किए जाते हैं। ऐसे समय में सार्वजनिक जगह पर जमाव, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान अथवा कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबंधात्मक कार्रवाई पुलिस करती है। मामलों की जांच के बाद न्यायप्रविष्ट कर दिया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों के चलते अदालती समय और संसाधनों पर खासा खर्च होता है। दूसरी ओर राजनीतिक दल के सत्ता में आते ही अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामलों को वापस लेने की अधिसूचना जारी की जाती है। पिछले 7 साल में तीन बार अधिसूचना जारी कर दर्जनों मामलों को वापस लिया गया है। हाल में जारी अधिसूचना के बाद पुलिस आयुक्त कार्यालय से 175 प्रलंबित मामलों की सूची जारी हुई है। इस सूची की समीक्षा कर न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए अभियोग संचालनालय को भेजी गई है। इन मामलों में राज्य के मंत्री बच्चू कड़ू, विधायक विकास ठाकरे, प्रवीण दटके, विकास कुंभारे, पूर्व सांसद जांबुवंतराव धोटे, पूर्व पालकमंत्री बावनकुले का समावेश है।

 

Created On :   13 Sept 2021 10:18 AM IST

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