जिप अस्पतालों की ओपीडी सेवा लड़खड़ाई
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। सरकारी नौकरी में स्थायी करने की प्रमुख मांग के साथ अन्य मांगों के लिए महाराष्ट्र राज्य समुदाय आरोग्य अधिकारी संगठन ने राज्यव्यापी एक दिवसीय कामबंद आंदोलन किया। इस वजह से जिला परिषद अंतर्गत अस्पतालों की ओपीडी सेवा बुरी तरह से लड़खड़ा गई है। 16 जनवरी को स्थानीय जिला परिषद के सामने आंदोलन कर जिप सीईओ को अपनी मांगों का निवेदन सौंपा है। इसके बाजवूद ध्यान न दिए जाने पर 23 जनवरी से राज्य भर में बेमियादी आंदोलन की चेतावनी दी है।
आंदोलनकारियों के अनुसार जिला परिषद अंतर्गत ग्रामीण परिसर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वर्तमान में 6 वर्ष से अधिक की सेवा हो गई है इसके बाजवूद आज तक उन्हंे स्थायी नहीं किया गया। जबकि देश के राजस्थान, हरियाणा, उड़ीसा और मणिपुर जैसे राज्यों में महज 3 वर्ष की सेवा के बाद ही डाक्टरों को स्थायी किया गया है। कोरोना काल में इस प्रकार सेवारत सीएचओ ने ही सर्वाधिक सेवा दी है। इस प्रकार चिकित्सकों ने कोरोना की आरटीपीसीआर, एंटीजेन टेस्ट के अलावा कोरोना मरीजों का उपचार किया है। इस वजह से उनके साथ उनके माता पिता कोरोना से ग्रस्त हो गए और अनेक ने अपने माता पिता को खो दिया है। इस प्रकार पीड़ित डाक्टरों ने कोरोना का उपचार खुद के पैसों से किया है इसका सरकार ने कोई खर्च नहीं दिया है। ठेके से प्रति वर्ष 5 प्रतिशत मानधन वृद्धि की जाती है किंतु 5 वर्ष बाद भी यह वृद्धि नहीं दी जा रही है।
40,000 रुपए मूल वेतन होने के बाजवूद सरकार 25000 रुपए मूल वेतन देकर 15000 रुपए के काम के आधार पर दे रही है यह एक प्रकार से अन्याय है। इसलिए 36000 मूल वेतन देकर 4000 काम के आधार पर निर्धारित करें, अनेक जिलों में दूसरे जिले के सीएचओ है। क्योंकि भर्ती प्रक्रिया के दौरान जिस जिले की रिक्तियां निकाली गईं वहां पर सीएचओ ने ज्वाइन कर लिया किंतु अनेक को अपने गृह जिले में तबादला चाहिए। राज्य भर में ऐसे 1400 से 1500 सीएचओ है किंतु उनका तबादला उनके जिले में नहीं किया जा रहा है। आदिवासी और दुर्गम क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों को 15000 रुपए प्रोत्साहन भत्ता देने का प्रावधान है किंतु जिले में यह भत्ता नहीं दिया जा रहा है। सीएचओ सुबह 8 से दोपहर 1 बजे ओपीडी में नियमित आने वाले मरीजों की जांच करते हैं। इसके बाद भोजन कर उनके क्षेत्र अंतर्गत 6 गांव में घूमकर मरीजों की जांच और उपचार करते हंै। इसके लिए सरकार की ओर से कोई मानधन नहीं दिया जाता है। इसलिए सीएचओ को टीए, डीए और बीमा सुरक्षा कवच और पीएफ देने की मांग के लिए सोमवार को जिला परिषद के सामने संगठना के पदाधिकारियों ने सुबह 10 से शाम 5 बजे तक एक दिवसीय आंदोलन किया गया है।
आंदोलन में चंद्रपुर जिला समेत सभी 15 तहसील के संगठन के पदाधिकारी शामिल थे। इसके बावजूद मांग पूरी न होने पर 23 जनवरी से बेमियादी आंदोलन की चेतावनी दी है। आंदोलनकारियों में प्रमुख रूप से डा. सोनाली सोनी, डा. चंद्रशेखर चौधरी, डा. शील दुधे, नगमा खान, डा. रेखा कांबले, डा. दीपाली गिरडकर, सायली राऊत, डा. महेश येउल, डा. सागर भोयर, डा. प्राची रोडे, डा. भूमिका येवले, डा. सुरेंद्र उमरे, डा. स्नेहा मोते, स्वप्निल सेलोकर, डा. हेमंत कावडकर, डा. रामता लिंगायत, अश्लेषा नगारे, दीपाली सातपुते, डा. सुशील चंदनखेडे, डा. अश्विनी आखाडे, डा. कोमल सूर्यवंशी, डा. सतीश वाघे, डा. राजेश नाडमवार, डा. सुयश तुपकर, डा. रंजन वदरे, डा. पवन डेकाटे, प्रीता कायले, मुकुल करिये, मनोज मेश्राम, डा. नितीन गायकवाड का समावेश है।
Created On :   17 Jan 2023 2:10 PM IST