- Home
- /
- धान खरीदी के लिए बचे केवल चार दिन...
धान खरीदी के लिए बचे केवल चार दिन फिर भी नहीं शुरू हुए 29 केंद्र
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। ग्रीष्मकालीन रबी फसल के धान की खरीदी के लिए प्रशासन की ओर से जिला मार्केटिंग फेडरेशन के जिले में 107 धान खरीदी केंद्रों को मंजूरी दी गई है, लेकिन अब तक केवल 78 धान खरीदी केंद्र शुरू होने की जानकारी सहायक मार्केटिंग अधिकारी अजय बिसने ने दी है। इन केंद्रों पर अब तक लगभग 7 लाख 50 हजार क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। शेष केंद्र भी जल्द शुरू होने की बात उन्होंने कही। मजे की बात यह है कि धान खरीदी की अंतिम तिथि 15 जून घोषित की गई है। 10 जून बीत चुका है। अब 4 दिनों में कितने केंद्र शुरू हो जाएंगे और उनमें कितना धान खरीदा जा सकेगा? यह एक प्रश्नचिह्न बन गया है।
मार्केटिंग फेडरेशन की तरह ही आदिवासी विकास महामंडल की ओर से जिले की 4 आदिवासी बहुल तहसीलों सड़क अर्जुनी, अर्जुनी माेरगांव, देवरी एवं सालेकसा में 44 धान खरीदी केंद्रों को शुरू करने की मंजूरी दी गई है, लेकिन अब तक केवल 9 केंद्र शुरू हुए हैं, जिनमें अंभोरा-चिचेवाडा, चिचेवाडा-बोरगांव, डवकी-मुरपार, लोहारा-देवरी, मक्काटोला-सालेकसा केंद्रों का समावेश है। इन केंद्रों पर अब तक मात्र 5 हजार 881 क्विंटल धान की खरीदी की गई है। पुराडा एवं धमदीटोला केंद्रों में भी आज 11 जून से खरीदी शुरू होने की जानकारी आदिवासी विकास महामंडल के सहायक क्षेत्रीय मैनेजर आशीष मुडेवार ने दी है।
गौरतलब है कि, गांेदिया जिले में इस वर्ष रबी के मौसम में 34 हजार 814 हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाई गई एवं इस वर्ष फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन अनेक शासकीय धान खरीदी केंद्र अब तक शुरू नहीं होने के कारण जिले के किसान मुश्किल में पड़ गए हैं। मानसून का मौसम सिर पर है। मृग नक्षत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में कभी भी बारिश हो सकती है। ऐसी स्थिति मंे रबी की फसल के धान बिक्री के केंद्र शुरू नहीं होने और इन केंद्रों पर सीमित मात्रा में ही अर्थात प्रति हेक्टेयर 43 क्विंटल धान किसानों से खरीदने की सीमा निर्धारित होने के कारण किसान परेशान हैं। धान खरीदी केंद्रों पर किसानों की लाइन लगी है, लेकिन खरीदी में आ रही परेशानियों के कारण अब किसान मुश्किल में दिखाई दे रहे हैं। धान खरीदी के लिए अब केवल 5 दिन शेष रह गए हैं एवं अभी तक मंजूर किए गए केंद्र ही शुरू नहीं हुए हैं। ऐसे में किसानोें पर आए संकट का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
अंत में उन्हें अपना उत्पादन बेचना तो है ही एवं अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए उन्हें अपना धान निजी व्यापारियों को उनके मुंह मांगे दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस पर कैसे रोक लगाई जा सकती है? यह सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को तय करना होगा अन्यथा किसान हित की बातें करने वाली सरकारों की कथनी और करनी का अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। केवल किसान हित की बातें करने से नहीं बल्कि किसानों के हित के लिए जमीनी स्तर पर काम हो रहा है यह दिखाई पड़ना भी आवश्यक है।
Created On :   11 Jun 2022 6:02 PM IST