एक बेटे ने घर से निकाला तो दूसरे ने बुजुर्ग माता-पिता को जिंदा ही पहुंचा दिया श्मशानघाट

One son took him out of the house and the other brought the elderly parents alive to the crematorium
एक बेटे ने घर से निकाला तो दूसरे ने बुजुर्ग माता-पिता को जिंदा ही पहुंचा दिया श्मशानघाट
वर्धा एक बेटे ने घर से निकाला तो दूसरे ने बुजुर्ग माता-पिता को जिंदा ही पहुंचा दिया श्मशानघाट

डिजिटल डेस्क, वर्धा । माता-पिता ने जिन बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा किया, उनकी सारी जरूरतें पूरी करने के लिए दिन-रात मेहनत की, उन्हीं बच्चों को बूढ़े माता-पिता बोझ लगने लगे। पैरालिसिस के शिकार माता-पिता को एक बेटे ने घर से निकाल दिया तो दूसरे ने उन्हें जिंदा ही श्मशानघाट पहुंचा दिया। 

उक्त मामला साेमवार को शहर की समतानगर श्मशानभूमि में सामने आया। समाजसेवकों ने पुलिस की मदद से वृद्ध दंपति को बेटों के पास पहुंचाया और उनको दोबारा ऐसा न करने के लिए समझाया। दूसरे दिन बड़े बेटे ने उन्हें फिर घर से बाहर निकाल दिया। जानकारी मिलने पर शहर पुलिस ने एक बार फिर उन्हें बड़े बेटे के पास पहुंचाया। वृद्ध दंपति महादेव कोंडीबा अलाट (85) और उनकी पत्नी मंजूला महादेवराव अलाट (68) दोनों ही पैरालिसिस के शिकार हैं। महादेव चल नहीं सकते और मंजूला बोल तक नहीं सकतीं। इनके दो बेटे हैं- सुनील और अनिल। सुनील बड़ा है और अनिल छोटा। इनके अलावा दो बेटियां भी हैं, जिनका विवाह हो चुका है।

दोनों बेटे मजदूरी करते हैं। उन्हें शराब की लत भी है। सुनील ने अपने माता-पिता को घर से निकाल दिया। इसके बाद अनिल ने देर शाम करीब 7:30 बजे उन्हें समतानगर परिसर की श्मशानभूमि में पहुंचा दिया। मामले की जानकारी राष्ट्रीय महिला परिषद की कार्यकर्ता को मिली। उसनेे दंपति की मदद करने के उद्देश्य से तहसील अध्यक्ष शीतल बघेल को इसकी जानकारी दी। सभी श्मशानभूमि पहुंचे तो वहां शव जलाने वाले टिन शेड के नीचे वृद्ध दंपति मिले। महिला कार्यकर्ताओं व पुलिस की सहायता से बुजुर्गों को उनके घर पहुंचाकर उनके पुत्रों को समझाया गया। इस दौरान राष्ट्रीय महिला परिषद तहसील अध्यक्ष शीतल बघेल, शहर उपाध्यक्ष उमा वाघमारे, सर्कल अध्यक्ष सरला वाडनकर, शाखा अध्यक्ष वरुड सेवाग्राम, सुनेना भिलाला, शकुंतला एंडाले उपस्थित थी। सावंगी मेघे पुलिस नेे कार्रवाई की। 

पुलिस ने दी थी बेटे को समझाइश
महिला कार्यकर्ता ने दोबारा घर जाकर देखा तो वहां दंपति नहीं दिखे। इसके बाद उनकी तलाश की गई। कुछ समय बाद वे एक कार्यालय के पास छोटे बेटे अनिल के साथ बैठे मिले। पूछने पर दंपति ने बताया कि उन्हें बड़े बेटे सुनील ने घर के बाहर निकाल दिया है। शहर पुलिस ने कार्रवाई कर दोबारा उन्हें बड़े बेटे के पास पहुंचाया। इस दौरान उसे समझाइश भी दी गई थी। 

माता-पिता के जला दिए कपड़े : बड़े बेटे सुनील ने अपने माता-पिता के कपड़ों को जला दिया था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार माता-पिता के मरने के बाद ही उनके कपड़ों को जलाया जाता है। महादेव रेलवे विभाग में टैंकर ड्राइवर के रूप में कार्यरत थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन मिलती थी किंतु ऐसी स्थिति में भी बच्चों ने उन्हें प्रताड़ित कर घर से बाहर निकाल दिया था।


 

Created On :   24 Aug 2022 3:13 PM IST

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