लोणार सरोवर की चट्टानों पर चांद जैसा नजारा, इसके बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप

On the rocks of Lonar lake, glass formation like the moon occurs before the diamond is formed.
लोणार सरोवर की चट्टानों पर चांद जैसा नजारा, इसके बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप
लोणार सरोवर की चट्टानों पर चांद जैसा नजारा, इसके बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप

डिजिटल डेस्क, नागपुर । अपनी अद्भुत संरचना और रासायनिक भव्यता के लिए मशहूर विदर्भ के बुलढाणा जिले के प्रसिद्ध लोणार सरोवर में एक और आश्चर्यचकित करने वाली रासायनिक प्रक्रिया हुई है। नासा के वैज्ञानिक डॉ. श्वान राइट के अध्ययन के अनुसार सरोवर की चट्टानों पर ऐसा "ग्लास फॉर्मेशन" हुआ है, जैसा दुनिया में और कहीं नहीं पाया गया है। केवल चांद पर ही इस प्रकार का पदार्थ होता है। यह पदार्थ हीरे के बनने के पहले की स्थिति जैसा है। 

सरोवर पर चल रहा शोध
हाल ही में प्राकृतिक कारणों से सरोवर के पानी का रंग बदल गया है। यह मुद्दा सोमवार को सुनवाई में उठा। वन विभाग ने कोर्ट मंे सरोवर की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया कि पानी के नमूने लेकर जांच के लिए नीरी नागपुर और आगरकर इंस्टीट्यूट पुणे भेज दिए गए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने दोनों शोध संस्थाओं से 2 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। उन्हें जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त जांच के लिए 4 सप्ताह का समय भी दिया गया है। हाईकोर्ट ने राज्य सिंचाई विभाग को समय-समय पर सरोवर के पानी अौर उस पर बने डैम के पानी के नमूने लेकर उसका अध्ययन करते रहने को कहा गया है। सुनवाई में मुद्दा उठा कि सरोवर परिसर से लोणार-किन्ही रोड गुजरता है, जिससे सरोवर के आस-पास मौजूद खनिजों के खराब होने का खतरा है। इस पर हाईकोर्ट ने इस सड़क को अन्यत्र शिफ्ट करने के आदेश प्रशासन को जारी किए हैं। सरोवर के "इजेक्टा ब्लैंकेट" को बचाने के लिए बुलढाणा जिलाधिकारी को विशेष नजर रखने के आदेश जारी किए गए हैं। 

चार सप्ताह में देनी है रिपोर्ट
सरोवर के संवर्धन पर केंद्रित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता कीर्ति निपाणकर के वकील आनंद परचुरे ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तथ्य का प्रचार-प्रसार होने से सरोवर को विश्व स्तर के पर्यटन के रूप में विकसित करने में मदद मिल सकती है। न्या.सुनील शुक्रे और न्या.अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने नीरी और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण) को ग्लास फॉर्मेशन का और अधिक अध्ययन कर चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने सरोवर के संवर्धन और विकास पर विविध आदेश जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 29 जून को रखी गई है। सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी, मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. एस. एस. सान्याल, एड. एन. बी. कालवाघे, न्यायालयीन मित्र एड. ए. सी. धर्माधिकारी, कोर्ट कमेटी के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. कप्तान ने पक्ष रखा। 

Created On :   16 Jun 2020 10:19 AM GMT

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