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काल बन रहा नायलॉन मांजा, घायल हो रहे लोग
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में नन्हे बच्चों के हाथ में नायलॉन मांजा लोगों व पंछ़ियों के लिए काल साबित हो रहा है। सरकार ने पांच वर्ष पूर्व ही नायलॉन मांजे की बिक्री और इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके पिछले पंद्रह दिन से समूचे जिले में प्रतिबंधित मांजे की धड़ल्ले से बिक्री और उपयोग शुरू है। लेकिन नायलॉन मांजे की बिक्री करने वालों के खिलाफ अब तक न तो नगर परिषद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की हैं और न ही पुलिस विभाग ने इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने कोई प्रयास शुरू किये है। नतीजा यह हैं कि, जिला मुख्यालय के मुख्य राष्ट्रीय महामार्ग पर हर आये दिन नायलॉन मांजे में फंसने से लोगों को घायल होना पड़ रहा है। वहीं पेड़ों की शाखाओं में मांजा उलझा रहने से इसमें फंसकर भी दर्जनों पंछियों की मृत्यु हो रहीं है। आमतौर पर मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में पतंगबाजी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। शुरुआती दौर में कच्चे धागे से बने मांजे से पतंगबाजी की जाती थी। लेकिन बदलती जीवनशैली के बीच मांजा भी बदल गया है। वर्तमान में नायलॉन की सहायता से बने मांजे का पतंगबाजी के लिए धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है।
वन्यजीव व पंछी प्रेमियों द्वारा लगातार की गयी मांग के बाद सरकार ने वर्ष 2017 में नायलॉन से बने मांजे पर प्रतिबंध लगाया। इसकी बिक्री और उपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ जूर्माना वसूलने के आदेश भी दिए गये। मात्र इन आदेशों का सरेआम उल्लंघन होता दिखायी दे रहा है। कम समय में अधिक दाम पाने के लिए इन दिनों व्यापारी बड़ी मात्रा में नायलॉन मांजे की बिक्री कर रहे हंै। यह मांजा काफी बारीक होने के साथ साथ धारदार भी होता है। नायलॉन मांजा साधे मांजे को आसानी से काट सकता है। इस कारण छोटे बच्चों समेत पतंगबाजी पसंद करने वाले लोगों में इसका क्रेज भी बढ़ता जा रहा है। इसी का नतीजा हैं कि, गड़चिरोली के बाजार में यह मांजा आसानी से मिल रहा है। लेकिन इस मांजे के कारण राह चलते लोगों और पंछियों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। हाल ही में गत 1 दिसंबर को शहर के अभिनव लॉन के समक्ष राष्ट्रीय महामार्ग से अपनी दाेपहिया से जा रहें चंद्रपुर जिले के सावली तहसील के सायमारा निवासी सोमेश्वर आनंदराव केंडलवार (28) नामक युवक का गला इसी नायलॉन मांजे के कारण कट गया था। घटना शाम 4 बजे की थी। जैसे ही सोमेश्वर का गला इस मांजे के कारण कटा, देखते ही देखते सोमेश्वर पूरी तरह लहूलुहान हो गया था। उसे तत्काल उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया। वर्तमान में शहर के सभी राष्ट्रीय महामार्ग के साथ प्रभागों की गलियों में भी इस तरह के प्रतिबंधित मांजे का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है।
Created On :   6 Dec 2022 3:13 PM IST