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जिले में तीन माह से नहीं मिला पोषाहार, कैसे मिटेगा कुपोषण?
माेहनिश चिपिये ,गड़चिरोली । देश के अतिपिछड़े 35 जिलों की सूची में शुमार आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले के नौनिहाल बच्चे लगातार कुपोषण की खायी में समा रहे हंै। कुपोषण और बालमृत्यु के प्रमाण को कम करने के लिए सरकार ने पाेषाहार की योजना क्रियान्वित की है। लेकिन इस योजना के क्रियान्वयन में अनेक खामियां होने के कारण आंगनवाड़ी के बच्चों समेत गर्भवती माताओं और किशोरियों को समय पर पोषाहार उपलब्ध नहीं हो रहा है। जानकारी के अनुसार, पिछले तीन माह से जिले की आंगनवाड़ियों में पोषाहार वितरण पूरी तरह ठप पड़ा है। फलस्वरूप बालकल्याण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित किया जा रहा है। दूसरी ओर सरकारी रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य भी उजागर होने लगे है। पिछले एक वर्ष की कालावधि में जिले में 311 बाल मृत्यु होने की जानकारी स्वयं जिला प्रशासन ने दी है। वहीं इसी कालावधि में 5 हजार से अधिक बाल कुपोषण का शिकार हुए हंै। जिसमें कुपोषण की अतितीव्र श्रेणी में 521 बालकों का समावेश होकर 4 हजार 694 बालकों का वजन मध्यम कम पाया गया है। यह बालक कुपोषण की सैम श्रेणी में समाविष्ट किये गये हंै। कुपोषण और बाल मृत्यु के आंकड़े लगातार बढ़ने के बावजूद सरकार और प्रशासन पोषाहार के नियमित वितरण की ओर अब तक गंभीर नहीं है। उल्लेखनीय यह हैं कि, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार आशीर्वाद ने एक वर्ष से जिले की आंगनवाड़ी केंद्रों व स्कूलों में "फुलोरा" कार्यक्रम आरंभ किया है। उन्होंने दावा किया हैं इस इस उपक्रम के तहत बालकों के दिये जा रहे विशेष पोषाहार के कारण कुपोषण और बाल मृत्यु का प्रमाण काफी कम हो रहा है। लेकिन दूसरी ओर जिले की स्थिति कुछ और ही बयां कर रहीं है। साथ ही प्रशासन के सरकारी आंकड़े भी सारे दावों की पोल खोल रहीं है। लगातार तीन माह से आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषाहार का वितरण नहीं होने से नन्हे बालकों समेत गर्भवती माताओं को पोषाहार से वंचित रहना पड़ रहा है। समय रहते ही इस समस्या का जड़ से िनवारण नहीं किया गया तो जिले में कुपोषण और बालमृत्यु की भयावह स्थिति भी निर्माण हो सकती है।
Created On :   7 Dec 2022 3:14 PM IST