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अब चर्म रोग नहीं करेंगे जीवन त्रस्त सफेद दाग, सोरायसिस का भी उपचार संभव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चर्मरोग दैवी अभिशाप नहीं हैं बल्कि आंतरिक स्वास्थ्य में गडबड़ी है जो लाइलाज भी नहीं है। आज भी एक बड़ा वर्ग यह मानने को तैयार नहीं है कि चर्मरोग इलाज से ठीक हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है एलोपैथी की इन रोगों से निपटने की असफलता।जलगांव महाराष्ट्र के वरिष्ठ होमियोपैथी विशेषज्ञ डॉ काबरा दंपत्ति ने आज यहां प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया है कि उन्होंने अनुसंधान कर सफेद दाग, सोरायसिस आदि पर एक प्रभावी उपचार पद्धति विकसित की है। जिसके लिए उन्हें कई बार देश विदेश में पुरस्कृत भी किया गया है। उन्होंने कहा कि चर्मरोग यह असल में चर्म रोग नहीं है बल्कि अंतर्गत कायादोष-विषो की त्वचा पर उभरे लक्षण मात्र है। जीवन सुरक्षित रहे इसलिए हमारी प्रतिशोध शक्ति अंतर्गत विष को त्वचा के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। विष निर्गमित होने के जो लक्षण त्वचा पर निर्माण होते है, उन्हें आमतौर पर त्वचा रोग मानकर बाह्य उपचार किए जाते है जिससे तात्कालिक लाभ होता है।
डॉ काबरा ने दावा किया कि साढे तीन दशकों में उन्होंने परिश्रम पूर्वक अंतर्गत मुलदोष का निदान, सही दवाई का चयन और आहार, विहार, विचार की प्रभावी मगर अमल करने में सुलभ सलाह इस त्रिसूत्री से इस रोग पर अभूतपूर्व सफलता पाई है। इस ऊपचार प्रणाली में मरहम, लेप लगाने या सूर्यताप आदि की जरुरत नहीं। केवल मीठी गोलिओं द्वारा अंतर्गत स्वास्थ्य को दुरुस्त करते हुए बाहरी त्वचा के लक्षण जड़ से मिटाए जाते है।
Created On :   9 April 2022 7:28 PM IST