अब खुलकर कर रहे भाजपा उम्मीदवार का प्रचार

Now openly campaigning for BJP candidate
अब खुलकर कर रहे भाजपा उम्मीदवार का प्रचार
आशीष देशमुख अब खुलकर कर रहे भाजपा उम्मीदवार का प्रचार

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व पूर्व विधायक आशीष देशमुख ने बागी तेवर अपनाए हैं। जिला परिषद के उपचुनाव में वे भाजपा उम्मीदवार का खुलकर प्रचार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके प्रचार कार्य की खबरें वायरल होने के बाद भी उनका प्रचार कार्य जारी है। इस बीच संवाद माध्यम से उन्होंने दूरी बना रखी है। साेमवार को संवाद माध्यम के प्रतिनिधियों ने उनसे कई बार फोन पर संपर्क का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। बाद में उनके सहयोगी कार्यकर्ता ने कहा कि वे फिलहाल संवाद माध्यम से चर्चा नहीं करने वाले हैं। देशमुख की बगावत को लेकर राजनीतिक चर्चा भी गर्माने लगी है। दावा किया जा रहा है कि वे जल्द की कांग्रेस से भी दूर हो सकते हैं। 
 
सावरगांव सर्कल में प्रचार : जिला परिषद के सावरगांव सर्कल में भाजपा ने पार्वती कालबांडे को उम्मीदवार बनाया है। उनके नामांकन दर्ज कराने के समय भी देशमुख उपस्थित थे। रविवार को कालबांडे के चुनाव प्रचार में देशमुख के शामिल होने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। यह खबर फैलने के बाद भी कांग्रेस की ओर से किसी  ने प्रतिक्रिया नहीं दी है। स्वयं देशमुख संवाद माध्यम से चर्चा नहीं कर रहे है। गौरतलब है कि पशुसंवर्धन मंत्री सुनील केदार के साथ देशमुख का राजनीतिक विवाद चर्चा में है। देशमुख की कांग्रेस निष्ठा पर सवाल उठाते हुए ग्रामीण कांग्रेस के पदाधिकारियों ने उन्हें पार्टी से बाहर करने की मांग भी की है।

चर्चा यह भी : देशमुख काटोल क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। 2014 में इसी क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता था। फिलहाल काटोल क्षेत्र के विधायक व पूर्व मंत्री अनिल देशमुख राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। देशमुख भाजपा व कांग्रेस के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के भरोसे काटोल क्षेत्र में अपनी राजनीतिक स्थिति की संभावना तलाश रहे हैं। 

हस्ताक्षर अभियान : 2008 में उन्होंने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया था, लेकिन भाजपा नेता वरुण गांधी हिंदूवादी भूमिका में चर्चा में आए, तो आशीष देशमुख हस्ताक्षर अभियान छोड़कर वरुण गांधी के समर्थन में उत्तरप्रदेश चले गए थे। बाद में उन्होंने भाजपा में प्रवेश लिया। 2009 के िवस चुनाव में सावनेर क्षेत्र में वे कांग्रेस उम्मीदवार सुनील केदार के विरोध में भाजपा के उम्मीदवार थे।  उस चुनाव में पराजित होने के बाद आशीष की राजनीतिक सक्रियता कम हो गई थी। हालांकि वे सावनेर क्षेत्र से ही दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन उन्हें काटोल में भाजपा की टिकट मिली थी। भाजपा से विधायक बनने के बाद वे भाजपा में ही बगावती तेवर अपनाने लगे। विधायक रहते हुए भाजपा छोड़कर वे कांग्रेस में शामिल हुए। 

 


 

Created On :   28 Sept 2021 11:38 AM IST

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